5- न चाहकर भी पुरुष का पिछलग्गू बनना
पुरुष प्रधान भारतीय समाज में महिलायें अपने पुरुष पार्टनर द्वारा लिये गये किसी भी निर्णय को आसानी से स्वीकार कर लेती हैं भले ही वे तर्कसंगत न हों। कई बार तो वे अपने लिए भी नहीं सोचती हैं और अपनी बात चाहकर भी अपने पार्टनर के सामने नहीं रख पाती हैं। इस बात का अफ़सोस उनको हमेशा होता है।
6- आलोचना न करना
ज़रुरी नहीं कि पुरुष की हर बात में हां से हां मिलाने से रिश्ते मधुर रहेंगे। दरअसल किसी भी बात की अति अच्छी नहीं होती है और यह बात में ग़लतफहमी और झगड़े का कारण भी बनती है। इसलिए अपने पार्टनर की हर बात पर तारीफ ही न करें, जब भी आपको लगे कि वो ग़लत कर रहे हैं, उनकी बात का विरोध करें।