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क्या है मांगलिक दोष? कोई कैसे बन जाता है मांगलिक, जानिए शादी पर इसका प्रभाव

आपने मांगलिक दोष को लेकर कई बातें सुनी होंगी। चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है मांगलिक दोष और ये कैसे लगता है।

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: March 02, 2022 13:01 IST
manglink dosh- India TV Hindi
Image Source : TWITTER@VIVAHSANYOG manglink dosh

ज्योतिष शास्त्र में मांगलिक दोष को लेकर बहुत बातें होती हैं। हिंदू धर्म में मांगलिक दोष को सीधा शादी से जोड़ा जाता है। ज्योतिषशास्त्र में कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8 और 12वें स्थान पर हो तो समझा जाता है कि जातक मांगलिक दोष से पीड़ित माना जाता है।

मांगलिक दोष मंगल ग्रह की स्थिति की वजह से लगता है। मंगल की बात करें तो मंगल को युद्ध का देवता कहा जाता है और यह ग्रह अविवाहित है। दुर्योग देखिए कि जो ग्रह खुद अविवाहित है, वो जातक की कुंडली में ऐसे संयोग रचता है कि जातक के विवाह में लगातार दिक्कतें आती रहती हैं।

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सामान्यत तौर पर सलाह दी जाती है कि मांगलिक व्यक्ति का विवाह किसी मांगलिक से ही होना चाहिए वरना वैवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ता है। इसी कारण मांगलिक लोगों के विवाह में कई बार बाधाएं आती हैं।

ज्योतिष शास्त्र कहता है कि यदि किसी मंगली (मांगलिक) का विवाह गैर-मांगली से करवा भी दिया जाए तो वैवाहिक जीवन में क्लेश दुख आते हैं और कई बार जीवनसाथी का साथ भी छूट जाता है। 

ज्योतिष शास्त्र ये  भी कहता है कि मांगलिक का विवाह किसी मांगलिक से ही करवाना सही होता है औऱ दो मांगलिकों के विवाह से दोनों का मांगलिक दोष स्वत समाप्त हो जाता है।

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क्यों होता है कोई मांगलिक दोष से पीड़ित ?

सबसे पहले यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि मांगलिक दोष क्यों और कैसे  बनता है। इसके पीछे की वजह है मंगल से जुड़े दोष। जी हां, शास्त्रों में मंगल ग्रह को गुस्से, शक्ति, शौर्य और सौभाग्य का कारक माना जाता है। 

कुंडली में यदि मंगल ग्रह दूषित होगा तो व्यक्ति क्रोधित, आवेशी, दंभी, शक्तिमान होगा। ऐसे लोग स्वाभगत उग्र बताए जाते हैं और यदि ऐसे मांगलिक की शादी किसी गैर मांगलिक से करवा दी जाए तो मांगलिक व्यक्ति अपने आवेश, गुस्से शौर्य और क्रोध से दूसरे साथी को दबाने की कोशिश करेगा। ऐसी स्थिति में विवाह सफल नहीं हो पाता है।

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सामान्य तौर पर हिंदू समाज में माना गया है कि यदि लड़के या लड़की की कुंडली में मंगल दोष हो और उसकी शादी गैर मांगलिक से करवा दी जाए तो जीवनसाथी की अकाल मृत्यु तक हो जाती है इसलिए अधिकतर लोग अपने मांगलिक जातक की शादी के लिए मांगलिक जीवनसाथी खोजना ही पसंद करते हैं। 

कब खतरनाक माना जाता है मांगलिक दोष
सामान्य तौर पर देखा जाए तो मांगलिक दोष किसी जातक के विवाह संबंधी कामकाज में व्यवधान पैदा करता है।

अगर कुंडली के सप्तम भाव में मंगल हो तो विवाह समय से होने पर बाधा आती हैं और विवाह के बाद भी परेशानियां बनी रहती हैं। लेकिन अगर मंगल चतुर्थ भाव में विराजमान हों तो जातक का विवाह समय से पहले ही हो जाता है। कम उम्र में विवाह होने पर विवाह में दिक्कतें आती हैं और विवाह सफल नहीं हो पाते। 

अगर कुंडली अष्टम भाव में मंगल हो तो जातक के गलत संगति में पड़ने के दुर्योग बनते है, इस वजह से विवाह टूटने की संभावना बनती है। 

हालांकि ये सभी बातें वैज्ञानिक तौर पर कहीं भी प्रमाणित नहीं की जा सकती। लेकिन जो लोग ज्योतिष विज्ञान में विश्वास करते हैं, उनका ऐसा मानना है कि मंगल दोष विवाह में दिक्कतें पैदा करता है।

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अगर कुंडल के अष्टम भाव में मंगल विराजमान हो तो मांगलिक जातक के जीवनसाथी की मृत्य की भी आशंकाएं पैदा हो जाती है। इसी बात के डर से मांगलिक लोगों के लिए मांगलिक जीवनसाथी खोजे जाते हैं। 

मंगल अगर अष्टम भाव में हैं तो मांगलिक के जीवनसाथी की मृत्यु के दुर्योग बनते हैं जिन्हें खत्म करने के लिए जातक का विवाह पहले सांकेतिक तौर पर पीपल के पेड़, घड़े या शालिग्राम से करवा दिया जाता है ताकि मृत्यु योग हट जाए। 

आपने अपने आस पास और कई सेलेब्रिटीज की शादी के किस्से सुने होंगे जिसमें घड़े या पीपल के पेड़ से फेरे लेने के बाद शादी हुई। दरअसल ये मांगलिक की कुंडली में लिखे मृत्यु योग को समाप्त करने के लिए किया जाता है ताकि योग की सारी विपदा पीपल के पेड़, कुंभ और शालिग्राम वहन कर लें और मांगलिक के जीवनसाथी की जान पर आंच ना आए।

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ज्योतिष शास्त्र ये भी कहता है कि 28 साल के बाद यानी 29वां साल लगते ही कुंडली में मंगल दोष स्वत: समाप्त हो जाता है। इसके बाद जातक किसी से भी विवाह कर सकता है।

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी  इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले इससे  संबंधित पंडित ज्योतिषी से संपर्क करें।

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