Highlights
- महाभारत के समय विदुर ने की थी विदुर नीति की रचना
- विदुर नीति में जीवन को सही तरीके से जीने का तरीका बताया है
महात्मा विदुर महाभारत काल के सबसे बड़े बुद्धिजीवियों में से एक माने जाते थे। वह अपनी कुशाग्र बुद्धि के होने के साथ ही दूरदर्शी भी थे। विदुर जी के बारे में कहा जाता है कि वह समय से पहले ही आने वाली परिस्थितियों को भांपने में सक्षम थे। इसलिए महाभारत के युद्ध से पहले ही विदुर जी ने महाराज धृतराष्ट्र को युद्ध परिणामों के बारे मे अवगत करवा दिया था। विदुर जी और महाराज धृतराष्ट्र के बीच का संवाद विदुर नीति के रूप में जाना जाता है।
विदुर जी की नीतियां इतनी बेहतर है कि आज के समय में भी ये उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उस समय हुआ करती थी। अगर कोई व्यक्ति विदुर जी की नीतियों का अनुसरण करें तो जीवन में आने वाली हर समस्या को बहुत ही आसानी से पार कर सकता है। इसी तरह विदुर ने ऐसे व्यक्ति के बारे में बताया है जो सबसे बड़ा मुर्ख कहलाता है।
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श्लोक
परं क्षिपति दोषेण वर्त्तमानः स्वयं तथा ।
यश्च क्रुध्यत्यनीशानः स च मूढतमो नरः ॥
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भावार्थ
जो अपनी गलती को दूसरे की गलती बताकर स्वयं को बुद्धिमान दर्शाता है तथा अक्षम होते हुए भी क्रुद्ध होता है वह महामूर्ख कहलाता है।
विदुर जी ने अपनी इस नीति में कहा कि अगर कोई व्यक्ति गलती करता है तो उसे इस बात को स्वीकार लेना चाहिए। क्योंकि जब आप गलती को मान लेते हैं तो उसे ठीक करने की कोशिश करते हैं। लेकिन जो खुद की गलती को दूसरों के सिर मड़ देता है वह गलत हैं। ऐसा करने से व्यक्ति अपने काम में सुधार नहीं कर पाता है और न ही सफलता की सीढ़ियां चढ़ पाता है। इसके साथ ही वह सामने वाले की नजरों में गिर जाता है। इसलिए हर व्यक्ति को अपनी गलती मानकर उसमें सुधार कर आगे बढ़ना चाहिए। इससे आज नहीं तो कल अवश्य सफलता प्राप्त होगी।
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