Shani Jayanti 2022: फलित ज्योतिष के नव ग्रहों में शनि को विशिष्ट स्थान प्राप्त है। सौरमंडल में सबसे धीमी गति से चलने वाला यह ग्रह मनुष्य से लेकर पूरे विश्व को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। दंड और न्याय का कारक ग्रह शनि एक राशि मे ढाई साल तक रहता है, जिससे कि चन्द्रमा में एवं उसके आगे पीछे की राशि में जाने पर साढ़ेसात साल का समय लगता है और इसे हीं शनि की साढ़ेसाती भी कहते हैं।
स्वभाविक है कि सौरमंडल के इतने महत्वपूर्ण ग्रह का जन्म भी मानव जीवन पर गहरा असर रखता होगा। शास्त्रों के अनुसार, मां छाया एवं सूर्यदेव के पुत्र शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को हुआ है। इसलिए ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाए जाने की परंपरा है।
साल 2022 में ज्येष्ठ मास के साथ अमावस्या तिथि का योग-संयोग आगामी 30 मई को बनने वाला है। अतः इस वर्ष 30 मई को शनि जयंती मनाई जाएगी। इस वर्ष की शनि जयंती का महत्व इसलिए भी काफी बढ़ जाएगा, क्योंकि इस दिन कई शुभ योग और भी बन रहे हैं। 30 मई का दिन सोमवार होने के कारण यह सोमवती अमावस्या का योग बनाएगा। साथ हीं साथ सर्वार्थसिद्धि योग एवं सुकर्मा योग जैसे कई दुर्लभ शुभ संयोग बनेंगे। इसी दिन वट सावित्री की भी पूजा की जाएगी, जिसमे स्त्रियां अपने पति के लंबी उम्र की कामना करती हैं।
जयेष्ठ मास की अमावस्या तिथि रविवार 29 मई 2022 को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट पर आरंभ होगी जो कि 30 मई के दिन शाम में 4 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। अतः, उदया तिथि के आधार पर शनि जयंती 30 मई को मनाई जाएगी।
यह शनि उनलोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा जो शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया एवं शनि के बुरे प्रभाव से गुजर रहे हैं। जिन लोगों की जन्मकुंडली में शनि पीड़ित है एवं शनि की महादशा एवं अंतर्दशा चल रही हो अथवा शनि का खराब गोचर चल हो, वैसे लोगों के लिए भी यह शनि जयंती अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाएगी। और इस दिन शनि देव की पूजा-अर्चना करके शनि ग्रह के बुरे प्रभावों के कारण हुए कष्टों से त्राण पाया जा सकता है।
ज्योतिषी पिनाकी मिश्रा- 6203409373
(डिस्क्लेमर: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता। )