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Ujjain Mahakal Dham: दो साल बाद महाकाल दर्शन के लिए शिव भक्तों की उमड़ी भीड़, 'बम भोले' के जयकारे से गूंजा उज्जैन

Ujjain Mahakal Dham: सावन मास का पहला दिन होने के चलते मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त बाबा महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचे।

Written By : Anurag Amitabh Edited By : Sushma Kumari Published : Jul 14, 2022 12:12 IST, Updated : Jul 14, 2022 12:25 IST
 Ujjain Mahakal Dham
Image Source : TWITTER/@ANURAGAMITABH Ujjain Mahakal Dham

Ujjain Mahakal Dham: कोरोना काल के दो साल बाद यह पहला अवसर है जब श्रावण माह में शिव भक्तों पर उज्जैन के महाकाल मंदिर समेत किसी भी मंदिर में किसी प्रकार की कोई पाबंदी नही है। यही कारण है कि देशभर में प्राचीन महाकाल मंदिरों में पहुंच रहे भक्तों में बड़ा उत्साह देखा जा रहा है।

सावन मास का पहला दिन होने के चलते विश्व प्रसिद्ध उज्जैन के महाकालेश्वर के महाकाल मंदिर (Ujjain Mahakal Dham) में भक्तों का तांता लगा हुआ है। भगवान महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचे हजारों की संख्या में महाकाल मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ दिखाई दी। उज्जैन के महाकाल मंदिर में महाकाल की भस्म आरती होती है इसके चलते सुबह 3 बजे से ही भक्तों की भीड़ आनी शुरू हो गई।

माना जाता है कि श्रावण का महीना भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना है।  मान्यता है कि श्रावण माह में शिव आराधना करने से सभी कष्टों से तुरंत मुक्ति मिलती है। यही वजह है कि सावन माह में देशभर के शिव मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ दिखाई देती है, जगह-जगह कावड़ यात्रा भी निकाली जाती है।

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में सुबह बाबा महाकाल की विशेष भस्म आरती की गई भस्म आरती के पहले बाबा भोलेनाथ को जल से नहलाकर महा पंचामृत अभिषेक किया गया जिसमें दूध,दही,घी,शहद और फलों के रसों से शिव जी को स्नान कराया गया।

उज्जैन के महाकाल मंदिर में महाकाल को अभिषेक के बाद भांग और चंदन का श्रंगार किया जाता है उसके बाद वस्त्र चढ़ाए जाते हैं। बाबा को भस्म में भी चढ़ाई जाती है। भस्मीभूत होने के बाद ढोल नगाड़े झांज मंजीरे और शंखनाद के साथ बाबा की भस्म आरती की जाती है। देश के तमाम हिस्सों से शिव भक्त उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में चावल मार्च के पहले दिन का विशेष इंतजार करते हैं। यही वजह है महाकाल के दरबार में सुबह से ही भक्ति भाव से सराबोर भक्त उत्साह से घंटों दर्शन करने के लिए खड़े रहते हैं।

महाकालेश्वर मंदिर के भस्म आरत पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि महाकाल मंदिर में ही भस्म आरती के साथ मंगला आरती होती है जिसके चलते भक्तों में उत्साह रहता है। महाकालेश्वर दक्षिण मुखी है इसलिए इसका 12 ज्योतिर्लिंगों में विशेष महत्व है।

उन्होंने आगे कहा कि यह महीना शिव का महीना कहलाता है, जैसे कार्तिक मास विष्णु का महीना कहलाता है जिसमें विष्णु का दर्शन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है वैसे ही सावन मास में शिव की भक्ति करने से बेलपत्र चढ़ाने से दूध चढ़ाने से जल चढ़ाने तिल चढ़ाने से कई कई यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। 

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