सनातन धर्म और वास्तु शास्त्र में तुलसी को बेहद पवित्र पौधा माना गया है। तुलसी को विष्णु प्रिया कहा जाता है और इसे घर में लगाने से सौभाग्य की वृद्धि होती है। तुलसी की पूजा से भगवान विष्णु और खुद माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है और ऐसे घरों में निवास करती हैं जहां तुलसी के पौधे की देखभाल की जाती है।
लेकिन तुलसी को लगाने के साथ साथ तुलसी के पौधे से जुड़े कुछ नियमों का भी ध्यान रखना चाहिए वरना फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है। चलिए जानते हैं तुलसी के पौधे के कुछ नियम जिनको ध्यान में रखना चाहिए।
तुलसी के पौधे को हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में ही लगाना चाहिए। इसे लगाते वक्त दिशा का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि गलत दिशा में रखा तुलसी का पौधा पूरे घर में निगेटिव एनर्जी फैला देता है। जिसके कारण शारीरिक के साथ-साथ आर्थिक हानि का भी सामना करना पड़ता है।
आपने गौर किया होगा कि घर में अक्सर महिलाएं स्नान के बाद गीले और खुले बालों में ही तुलसी को जल देने लगती हैं। ये गलत नियम है। तुलसी को विष्णु प्रिया मान गया है और ऐसे में ऐसे में सौभाग्य में वृद्धि के लिए खुले बालों को बांधकर ही तुलसी में जल अर्पित करना चाहिए।
तुलसी के आसपास जूठन, जूते-चप्पल, झाड़ू या कचरा नहीं रखना चाहिए। ध्यान रखना चाहिए कि तुलसी गेट के तुरंत बाहर या लोगों के पैरों के नीचे तो नहीं आ रही। इतना ही नहीं गंदा पानी भी तुलसी के ऊपर ना गिरे, ऐसा ध्यान रखना चाहिए।
जिस गमले में तुलसी का पौधा लगा हो उसमें कोई अन्य पौधा नहीं लगाना चाहिए।
तुलसी के आस पास कांटेदार पौधों को नहीं लगाना चाहिए। इससे घर में दुर्भाग्य बढ़ता है और तुलसी की पूजा का सही फल नहीं मिल पाता।
तुलसी को दूध मिला हुआ जल अर्पित करना चाहिए। इससे तुलसी हरी भरी रहती है औऱ तेजी से बढ़ती है।
रविवार के दिन तुलसी को जल नहीं अर्पित करना चाहिए।
अक्सर सांझ के वक्त तुलसी के नीचे दिया जलाया जाता है। लेकिन इतना ध्यान रखना चाहिए कि दिया जलाने के बाद जब वो बुझ जाए तो उसे तुलसी के नीचे से हटा देना चाहिए।
तुलसी के पौधे को हमेशा आंगन में लगाना चाहिए। अगर आंगन नहीं है तो बालकनी में लगा सकते हैं। लेकिन इसे छत पर नहीं रखना चाहिए।