स्वामी विवेकानंद ने बहुत कम उम्र में ही हिंदू धर्म और आध्यात्म की आधुनिक और प्रेरणादायक व्याख्या की थी। आज युवा विवेकानंद को अपनी प्रेरणा मानते हैं। 12 जनवरी 1863 में कोलकाता में जन्में विवेकानंद के विचारों को पीएम नरेंद्र मोदी भी काफी अहमियत देते हैं और अपने भाषणों में उनका जिक्र करते हैं। पीएम मोदी ने इस बात पर हमेशा जोर दिया है कि कैसे विवेकानंद के विचारों को अपना कर युवा आज भारत को वैसा बनाने में योगदान कर सकते हैं, जैसे स्वामी विवेकानंद का सपना था।
स्वामी विवेकानंद द्वारा शिकागो के धर्म सम्मेलन में दिए गए उनके भाषणों के लिए भी याद किया जाता है। स्वामी विवेकानंद कई दिनों तक अध्यात्म के ऊपर लोगों को संबोधित करते रहे। विवेकानंद के इसी गुण को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी ने जेएनयू के विद्यार्थियों को एक बार संबोधित करते हुए कहा था, "मैं चाहता हूं कि भारत के युवा कभी भी बिना किसी सवाल के किसी भी स्थिति को स्वीकार न करें। बहस करें। स्वस्थ बातचीत करें। चर्चा करें और फिर किसी नतीजे पर पहुंचें। स्वामी जी कभी भी यथास्थिति के लिए सहमत नहीं हुए।"
पीएम मोदी ने विवेकानंद द्वारा दिए गए एकजुटता के विचार पर बल देते हुए कहा, "मैंने इमरजेंसी के दिन देखे हैं। विभिन्न राजनीतिक मान्यताओं के बहुत सारे लोग थे - कांग्रेस से, आरएसएस से कई अन्य विचार वाले भी थे। लेकिन हम सभी राष्ट्रीय हित के एक साझा उद्देश्य से एकजुट थे। हम इसे रोजमर्रा की जिंदगी में भी देख रहे हैं। हमें लोकतंत्र में हेल्दी डिबेट को अवसरवाद से दूर रखना होगा।"
स्वामी विवेकानंद की 125वीं जयंती पर पीएम मोदी ने स्वामी जी द्वारा दिए 'एक एशिया' के विचारों पर जोर देते हुए कहा, "स्वामी विवेकानंद ने 'एक एशिया' की अवधारणा दी थी। उन्होंने कहा कि दुनिया की समस्याओं का समाधान एशिया से आएगा।"