Friday, November 08, 2024
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कुंडली में सूर्य-चंद्र की युति जब शनि के साथ हो तो क्या होता है असर

सूर्य और चंद्रमा का एक कुंडली के एक ही भाव में होना कई तरह के फल देता है। यहां जानिए।

Edited by: Vineeta Vashisth
Updated on: April 19, 2022 16:07 IST
sun moon yuti- India TV Hindi
Image Source : TWITTER/@BHADRALOKKUNDLIFAL sun moon yuti

ज्योतिष शास्त्र में किसी भी इंसान की कुंडली में नवग्रहों का भाव के आधार पर असर देखने को मिलता है। किसी की कुंडली में कौन सा ग्रह किस भाव में बैठकर कहां दृष्टि डाल  रहा है, ये उसके भाग्य और कर्म क्षेत्र को भी प्रभावित करता है। ऐसे में बात जब ग्रहो की युति की की जाती है तो सबसे पहले सूर्य औऱ चंद्रमा की युति देखी जाती है। युति यानी कुंडली में किसी एक भाव में दो या उससे ज्यादा ग्रहों का एक साथ बैठ जाना। 

जिस तरह राहू और केतू किसी भी भाव में किसी ग्रह के साथ बैठ जाए तो जातक को नुकसान ही होता है, उसी प्रकार सूर्य और चंद्रमा की युति भी खतरनाक मानी जाती है। 

ज्‍योतिष शास्त्र में आकलन किया जाता है कि सूर्य और चंद्रमा एक-कुंडली के किसी एक भाव में साथ बैठ जाए तो ग्रहण योग लगता है। चूंकि चंद्रमा स्वभाव से शीतल हैं और मन का कारक है और दूसरी तरफ सूर्य तेज और बलशाली कारक के प्रतीक हैं, ऐसे में सूर्य के साथ एक ही भाव में आने पर चंद्रमा कमजोर होकर अशुभ फल देने लगता है। ये दोनों ग्रह जितना दूर होंगे उतना ही अपने प्रभाव को उच्च रखेंगे औऱ शुभ फल देंगे। इनकी नजदीकी इनके शुभ प्रभाव को कमजोर करती है औऱ जातक नुकसान झेलता है।

ऐसे में जब सूर्य चंद्र के साथ दूसरे ग्रह भी युति करते हैं तो कई तरह के फल मिलते हैं।

-जैसे सूर्य और चंद्र के साथ बुध की युति बन रही हो तो जातक के माता पिता के लिए अशुभ होता है। इनकी युति मानसिक स्थिति बिगाड़ती, सरकारी नौकरी के प्रयास विफल होते हैं, ब्लैक मेलर हावी होते हैं।

-सूर्य और चंद्र के साथ अगर केतु की युति हो रही हो तो आर्थिक विपन्नता आती है। रोजगार के अवसर खोने लगते हैं। जातक का मानसिक संतुलन खोता है, शक्तिहीनता आती है, जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है।

-सूर्य चंद्र के साथ अगर शनि युति कर रहा हो तो जातक अविश्वासी होता है। ऐसे लोग धूर्त, वाचाल, पाखंडी, अविवेकी और अज्ञानी होते हैं। ये अपना नुकसान करते हैं और मानसिक तनाव के शिकार होते हैं।

हालांकि ज्योतिष इस बात पर भी गौर करता है कि कुंडली के सभी 12 अलग-अलग भावों में सूर्य-चंद्र का ये गठजोड़ जिसे युति कहा जाता है,उसका प्रभाव अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। 

अगर पहले भाव में सूर्य और चंद्रमा एक साथ बैठे हों तो व्यक्ति मतिभ्रम, मानसिक तनाव, दुविधा का शिकार बनता है। ऐसे लोग सही निर्णय़ नहीं ले पाते और उनका मन चंचल और कमजोर बना रहता है।

अगर कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य चंद्र की युति बन रही है तो जातक को आर्थिक नुकसान झेलने पड़ते हैं। 

कुंडली के तीसरे भाव की बात की जाए तो जहां चंद्र और सूर्य की युति उसे बजरंग बली के सरीखे बनाती है। जातक साहस वाला तो होगा लेकिन समय पर उस साहस का उपयोग तभी कर पाएगा जब उसे याद दिलाया जाएगा। 

चूंकि किसी भी कुंडली में चंद्रमा चौथे भाव में बली और पराक्रमी होता है, लिहाजा इस भाव में सूर्य औऱ चंद्र की युति चंद्रमा को बल देती है। ऐसी स्थिति में सूर्य कमजोर होकर अशिुभ फल देता है और मान सम्मान में कमी आती है। 

कुंडली के पांचवे भाव में सूर्य चंद्र की युति के होने से चंद्रमा कमजोर होकर मानसिक तनाव का कारण बनता है। ऐसा व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर होता है।

चंद्रमा कमजोर हो तो व्यक्ति बहुत सी बीमारियों से घिरा रहता है। ऐसा हो तो समझिए कि कुंडली के छठे भाव में चंद्र और सूर्य की युति हो रहा है।ऐसे लोग बीमारी से शिकार होते हैं, चिंताएं घेरती हैं, मानसिक तनाव हावी होता है।

सातवें भाव में अगर सूर्य चंद्र युति बन रही है तो विवाहित जीवन में कष्ट भुगतने पड़ते हैं। पति पत्नी में कलह और विवाद होते हैं और अलगाव की स्थिति भी बन जाती है।

आठवें भाव में अगर सूर्य चंद्र युति बन रही है तो ऐसे जातक अन्तर्मुखी हो जाते हैं, समाज में खुलकर बात नहीं कर पाते, डर औऱ भ्रम के शिकार हो जाते हैं।

नौवें भाव में अगर सूर्य चंद्र युति बन रही है तो जातक को घर से दूरी सहनी पड़ती है और प्रियजनों से विछोह होता है।

दसवें भाव में अगर सूर्य चंद्र युति बन रही है तो चंद्रमा अशुभ फल देते हैं और जातक लीडरशिप खो देता है। ऐसे लोग नेतृत्व क्षमता नहीं संभाल पाते।

ग्यारहवें भाव में अगर सूर्य चंद्र युति बन रही है तो धन की कमी होती है।मेहनत करने के बावजूद पैसा नहीं आता और आर्थिक तंगी बनी रहती है। 

बारहवें भाव में अगर सूर्य चंद्र युति बन रही है तो चंद्रमा के चलते जातक बुरी आदतों और बुरी संगति का शिकार बनकर समाज में अपनी प्रतिष्ठा खो देता है।

डिस्क्लेमर - ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।

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