Highlights
- माता शीतला को बासी भोजन काफी प्रिय है।
- सुख-समृद्धि के लिए माता शीतला का पूजन किया जाता है।
हिंदू धर्म में देवी देवताओं के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। देवी-देवताओं के पूजन के दौरान खास विधि भी अपनाई जाती है। 25 मार्च को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाने वाला है। इस दिन की पूजा का खास विधान है। इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगता है। इस खास पर्व को बसौड़ा भी कहा जाता है। शीतला अष्टमी की एक रात पहले यानी सप्तती की रात में माता के लिए हलवा और पूड़ी का भोग तैयार किया जाता है। आखिर शीतला अष्टमी पर माता शीतला को बासी भोजन का भोग क्यों लगाया जाता है? क्या है इसके पीछे की मान्यताएं? आइए जानते हैं
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क्यों लगाते हैं बासी भोजन का भोग?
अमूमन धार्मिक मान्यताओं में ऐसा देखा गया है कि किसी भी पूजा-पाठ के दौरान शुद्ध और ताजा पकाए गए पकवानों का भोग लगाया जाता है। मगर शीतला अष्टमी के पर बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। ऐसे में इसके पीछे ये खास वजह है कि माता शीतला को बासी भोजन काफी प्रिय है। यही वजह है कि लोग शीतला अष्टमी को बासी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। अष्टमी के दिन के घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है और उस दिन रात में बने भोजन को ही ग्रहण करने का रिवाज है।घर-परिवार की सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी के लिए, अपने बिजनेस को अनजाने खतरों से बचाए रखने के लिये, देवी मां की कृपा से जीवन में सफलता पाने के लिए, अपने हर काम में लाभ पाने के लिये और कामयाबी हासिल करने के लिए देवी शीतला की उपासना की जाती है।
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शीतला अष्टमी पर कैसे करें माता की उपासना?
- अगर आप अपने घर-परिवार की सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी करना चाहते हैं तो आज आप स्नान आदि के बाद शीतला मां का ध्यान करते हुए घर पर ही एक आसन बिछाकर बैठ जाएँ और मंत्रमहोद्धि में दिये देवी मां के इस नौ अक्षरों के मंत्र का 108 बार जाप करें। मंत्र इस प्रकार है, 'ऊं ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः।'
- अगर आप किसी बात को लेकर थोड़ा परेशान हैं, आपका मन कुछ बेचैन सा है तो अपने मन की शांति के लिये आज आप एक छोटा-सा चांदी का टुकड़ा लें और माता शीतला के मंदिर जाकर देवी मां को भेंट करें। अगर उस चांदी के टुकड़े पर माता का चित्र भी बना हो तो और भी अच्छा है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)