शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला सौरमंडल का सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रह है और प्रत्यक्ष तौर पर सबसे ज्यादा और तुरंत अपने प्रभाव को देने की क्षमता रखता है। दंड और न्याय के कारक ग्रह शनि व्यक्ति को रंक से राजा और राजा से रंक बनाने की क्षमता रखते हैं। यही कारण है कि ढाई साल में शनि जब अपनी राशि बदलते हैं तो यह यह सौरमंडल की बड़ी घटना मानी जाती है, और व्यक्ति से लेकर विश्व के मानचित्र पर भी बड़े बदलाव की आशंका रहती है। फिर चाहे प्राकृतिक आपदा की बात हो, राजनीतिक बदलाव की, सभी जगह शनि अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शनि का यही बदलाव व्यक्ति विशेष के लिए साढ़ेसाती और ढैया का कारण बनती है।
शनि की साढ़ेसाती का अर्थ?
शनि की साढ़ेसाती का सरल अर्थ होता है कि व्यक्ति की जन्मराशि से एक राशि पहले, जन्मराशि में तथा जन्मराशि से अगले राशि मे जब शनि गोचर यानी कि भ्रमण करे तब शनि की साढ़ेसाती लगती है। साढ़ेसाती यानी साढ़े सात साल और यह साढ़े सात साल ढाई-ढाई साल करके तीन राशियों में गुजरती है। ठीक इसी तरह, शनि जब अपनी जन्मराशि से चतुर्थ या आठवें राशि मे गोचर करने लगे तो यह शनि की अढैया कहलाती है। अढैया यानी अढ़ाई साल और शनि का यह अढ़ाई(ढाई) साल गुजरता है, जन्मराशि से चतुर्थ या आठवीं राशि में।
शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैया से पहले मिलते हैं ये संकेत
शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैया व्यक्ति के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर आती है, और यह स्थिति तब और भी अधिक गंभीर हो जाती है जब शनि व्यक्ति की जन्मकुंडली में पीड़ित या दूषित हों। तो आइए जानते हैं की जब किसी व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया शुरू होने वाली होती है तब यह व्यक्ति को इसके संकेत भी मिलते हैं, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। ये हैं वो संकेत-
- शनि का सबसे बड़ा और प्रत्यक्ष असर पैरों में देखने को मिलता है। एड़ियां फटनी शुरू हो जाएंगी अथवा चप्पल जल्दी जल्दी खराब होने शुरू हो जाएंगे।
- मन मे अज्ञात भय बनना शुरू हो जाएगा।
- व्यक्ति वर्तमान से दूर होता चला जाएगा और उसका अधिकतर समय भविष्य चिंतन में जाने लगेगा।
- स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पेट मे वायु ज्यादा बननी लगेगी एवं नस-नाड़ी की समस्या उत्पन्न होने लगेगी।
- जमीन जायदाद एवं कानूनी अड़चनों का सामना होना शुरू हो जाएगा।
- घर मे अनावश्यक कलह और क्लेश का माहौल बनता चला जाएगा।
शनि का अशुभ प्रभाव कैसे करें दूर?
ये तो हुई बात उन लक्षणों की जिसके आधार पर हमें शनि की साढ़ेसाती अथवा शनि की ढैया शुरू होने की सूचना मिलती है। आइए अब हम यह जाने की शनि के इस अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
- प्रत्येक शनिवार को शनि मंदिर अथवा काली मंदिर में नारियल की बलि दें।
- तंत्रोक्त देवी सूक्तम का पाठ नियमित तौर पर करें। रोजाना न कर पाने की स्थिति में सिर्फ शनिवार को करें।
- जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया चल रही है उनलोगों को शनि चालीसा का किया गया पाठ काफी राहत देनेवाला साबित होगा।
- ''ॐ शं शनैश्चराय नम:” मंत्र का यथासंभव मानसिक जप करें।
- जीवनशैली में बदलाव लाते हुए भविष्य चिंतन से बचें एवं वर्तमान पर केंद्रित करें।
ज्योतिषी पिनाकी मिश्रा
(डिस्क्लेमर: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता। )