Shani Jayanti 2022: नौ ग्रहों में शनि ग्रह का अपना विशेष ही प्रभाव होता है। भगवान शनि को प्रकृति का न्यायाधीश माना जाता है। मानव जाति पृथ्वी पर जो भी कर्म करते हैं, मन से, शरीर से या वाणी से वह सभी कर्मों का फल अच्छा होगा या बुरा वह शनि भगवान देते हैं। इसलिए शनि ग्रह से लोग बहुत भयभीत होते हैं। शनि ग्रह को मंदा ग्रह भी कहा जाता है क्योंकि यह अपना परिणाम धीरे धीरे देते हैं।
शनि ग्रह लंबी बीमारी, विपत्ति, ऐश्वर्य, मानसिक चिंता, धोखा, छल- कपट, राजनेता , तांत्रिक , पुलिस विस्फोटक सामग्री ,लड़ाई - झगड़े, कोर्ट कचहरी इत्यादि के कारक ग्रह होते हैं। शनि ग्रह से ही यह मालूम किया जाएगा कि व्यक्ति अपने जीवन काल में कितना सफल रहेगा और कितना दुख झेलेगा और उसका समाज में उसका मान सम्मान कितना होगा ।
शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या
हमारे जीवन में शनि ग्रह महादशा के रूप में ,अंतर्दशा के रूप में, साढ़ेसाती और ढैय्या के रूप में आते हैं । शनि लोगों को उनके कर्म के अनुसार फल देते हैं। शनि ग्रह से डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह ग्रह निर्दोष आदमी को कोई कष्ट नहीं देता है और अपने महादशा दशा अंतर्दशा साढ़ेसाती में आदमी को खुशहाल बनाते हैं। अगर कर्म अच्छे हैं तो शनि ग्रह तरक्की देते हैं। बिजनेस व्यापार में सफलता देते हैं। जॉब में प्रमोशन देते हैं ।
यदि किसी जातक की कुंडली में शनि ग्रह नीच का हो शनि ग्रह पाप ग्रहों से पीड़ित हों तब शनि की महादशा में जातक बहुत ही परेशान रहता है और उनको चार प्रकार का शनि का दौर भोगना पड़ता है।
- प्रारंभिक दौर जो होता है उसमें जातक का खर्च बहुत बढ़ जाता है। आमदनी कम हो जाती है। घर परिवार में मतभेद हो जाते हैं । रिश्ते में मनमुटाव हो जाते हैं और दरार आ जाती है। दोस्तों की संख्या धीरे-धीरे कम होने लगती है।
- दूसरा जो दौर होता है उसमें जातक कभी-कभी गलत संगत में फंस जाता है। उस पर आरोप-प्रत्यारोप भी लग जाते हैं। उनका तबादला भी हो जाता है। नौकरी वगैरह में और प्रमोशन रुक जाता है। उनको निराशा ही निराशा का अनुभव होता है।
- तीसरे दौर में आर्थिक कष्ट का सामना करना पड़ता है। घर परिवार में तनाव बढ़ जाता है । लड़ाई झगड़े बीमारी इत्यादि का दौर बढ़ने लगता है। मानसिक रूप से परेशान होने के कारण भाई बहन से रिश्ते खराब होते हैं। पति पत्नी का रिश्ता भी बिगड़ने लगता है। गलत संगत में भी पड़ने का डर रहता है।
- चौथा जो दौर होता है उसमें जातक इतना परेशान हो जाता है कि वह स्वभाव से चिड़चिड़ा हो जाता है। उनको बदनामी का सामना करना पड़ता है । सफलता नहीं मिलने के कारण गलत काम भी मजबूरी में करना पड़ता है। समाज में प्रतिष्ठा नहीं के बराबर रह जाती है। तरह-तरह की समस्याएं आती हैं। कभी-कभी तो ऐसा देखा गया है जो जातक आत्महत्या जैसा गलत और गैरकानूनी कार्य करने का भी प्रयास करता है ।
इस सारी समस्याओं से बचा जा सकता है क्योंकि हमारे धर्म ग्रंथों में बहुत ही अच्छे अच्छे और प्रभावशाली उपाय बताए गए हैं, जिसका यदि उचित तरह से उसका प्रयोग किया जाए उपरोक्त जितने भी प्रकार की समस्या बताई गई है उसमें अवश्य ही निजात मिलता है। शांति महसूस होती है ।
कैसे प्रसन्न होंगे शनिदेव?
शनि भगवान को प्रसन्न करने के लिए सबसे पहले चाहिए कि किसी भी गलत प्रकार का कार्य नहीं करें, यदि करते हों तो उसे तत्काल बंद कर दें।
- झूठ बोलना बंद कर दें।
- अपना व्यवहार अच्छा करें।
- अतिथि देवो भव में विश्वास रखें।
- पत्नी की इज्जत करना चाहिए।
- शराब नहीं पीना चाहिए ।
- अनैतिक कार्य से बचना चाहिए।
- झूठी गवाही नहीं देनीचाहिए।
- मजदूर की इज्जत करनी चाहिए और उनका जो उचित मुआवजा है वो देना चाहिए ।
- शनि ग्रह लेबर मजदूर के भी कारक ग्रह माने गए हैं।
इनपुट- पंडित मनोज कुमार मिश्रा, वास्तु ज्योतिष विशेषज्ञ
डिस्क्लेमर - इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।
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