Highlights
- भगवान शनि की पूजा करने से मिलेगा विशेष फल
- शनि अमावस्या के साथ सूर्य ग्रहण भी
- भगवान शनि की पूजा करने से होगा अकाल मृत्यु का डर कम
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अमावस्या 4 दिसंबर को पड़ रही है। मार्गशीर्ष की इस अमावस्या को अगहन या दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक रूप से इस अमावस्या का बड़ा ही महत्व है। इस बार की अमावस्या काफी खास हैं। क्योंकि शनिवार पड़ने के कारण इसे शनैश्चरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाएगा।
मार्गशीर्ष अमावस्या को देवी लक्ष्मी या कमला के पूजन का भी विधान है। मार्गशीर्ष अमावस्या को दस महाविद्याओं में से एक देवी कमला की जयंती भी मनायी जाती है।
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इस दिन शनि देव की पूजा अर्चना करने से आपको इनकी कृपा प्राप्त होगी। अगर आपकी कुंडली में शनि दोष है या फिर आपकी कुंडली में पितृ दोष, कालसर्प दोष एवं शनि प्रकोप होता है, उन जातकों पर प्रेत बाधा, जादू-टोना, डिस्क-स्लिप, नसों के रोग, बच्चों में सूखा रोग, गृह क्लेश, असाध्य बीमारी, विवाह का न होना, संतान का शराबी बनना एवं कभी-कभी अकाल दुर्घटना का कारण भी बन जाता है।
अमावस्या तिथि का मुहूर्त
अमावस्या तिथी प्रारंभ: 3 दिसंबर शाम 4 बजकर 56 मिनट से शुरू
अमावस्या तिथि समाप्त: दोपहर 1 बजकर 12 मिनट तक
ऐसे करें भगवान शनि की पूजा
इस दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें और काले रंग के कपड़े धारण करें। इसके बाद भगवान शनि की अराधना करें। भगवान शनि के नाम पर सरसों के तेल क दीपक जलाएं और भगवान गणेश के पूजन से पूजा प्रारंभ करें। सबसे पहले फूल चढ़ाएं। इसके बाद उन्हें तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद भोग में लड्डू और फल चढ़ाए। इसके बाद जल अर्पित करें। इसके बाद शनि चालीसा का पाठ करते हुए आरती करें। पूजा के अंत में 21 बार शनिदेव महाराज के मंत्रों का जाप करें और अंत में कपूर से आरती करें। पूरे दिन उपवास करें और शाम को पूजा दोहराकर पूजा का समापन करें।
शनिदेव पूजा के मंत्र
ओम शनैश्चराय विद्महे सूर्य पुत्राय धीमहि।। तन्नो मंद: प्रचोदयात।।