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Sawan Pradosh Vrat 2022: सावन पहला प्रदोष व्रत कल, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Sawan Pradosh Vrat 2022: आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Written By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Published : Jul 24, 2022 17:15 IST, Updated : Jul 24, 2022 17:16 IST
Sawan Pradosh Vrat 2022
Image Source : INDIA TV Sawan Pradosh Vrat 2022

Highlights

  • सोम प्रदोष व्रत 25 जुलाई 2022 को मनाया जाएगा।
  • इस बार का सोम प्रदोष व्रत काफी खास है।

Sawan Pradosh Vrat 2022:  25 जुलाई को श्रवण कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि और सोमवार का दिन है। द्वादशी तिथि 25 जुलाई शाम 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी, उसके बाद त्रयोदशी तिथि लग जायेगी, जो अगले दिन शाम 6 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता है। सप्ताह के सातों दिनों में से जिस दिन प्रदोष व्रत पड़ता है, उसी के नाम पर उस प्रदोष का नाम रखा जाता है। ऐसे में 25 जुलाई को सोमवार है तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा।

किसी भी प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का बहुत महत्व होता है। त्रयोदशी तिथि में रात्रि के प्रथम प्रहर, यानी शाम के समय को प्रदोष काल कहते हैं।  इस बार का सोम प्रदोष व्रत काफी खास है क्योंकि सावन का दूसरा सोमवार होने के साथ-साथ कई शुभ योग बन रहे हैं। कहा जाता है कि इस शुभ संयोग में शिवजी का अभिषेक करने से संतान सुख की इच्छा रखने वालों के लिए काफी फलदायी होता है। ऐसे में आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

कब है सोम प्रदोष व्रत 2022?

इस बार सोम प्रदोष व्रत 25 जुलाई 2022 को मनाया जाएगा। 

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

  • सावन मास के कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 25 जुलाई शाम 04 बजकर 15 मिनट से
  • सावन मास के कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त- 26 जुलाई शाम 06 बजकर 04 मिनट तक
  • पूजा का शुभ मुहूर्त- 25 जुलाई की शाम 07 बजकर 17 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 21 मिनट तक
  • प्रदोष काल का समय- सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू होता है और 45 मिनट बाद तक मान्य होता है।

प्रदोष व्रत पूजा विधि 

सोम प्रदोष व्रत के दिन स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले भगवान शिव का पंचामृत यानी दूध,घी,गंगाजल,शहद और दही से अभिषेक करना चाहिए। उसके बाद संध्या में, यानी प्रदोष काल के समय भी पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस प्रकार जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा आदि करता है और प्रदोष का व्रत रखता है, वह सभी कष्टों से मुक्त होकर पुण्य को प्राप्त करता है और उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है, उसे जीवन में अप्रतिम लाभ मिलता है। 

सावन प्रदोष व्रत महत्व

सावन का महीना शिव जी का बेहद प्रिय महीना होता है। मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में मां पार्वती ने कठोर तप करके भगवान शिव को प्राप्त किया था। इसिलए कहा जाता है कि जो भक्त सावन के महीने में प्रदोष का व्रत रखकर भगवान शिव का विधि विधान से पूजा और जलाभिषेक करते हैं उन पर शिवजी प्रसन्न होते हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है। 

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