Monday, December 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. जीवन मंत्र
  4. राहु-केतु लगाते हैं कुंडली में ग्रहण योग जिससे धनहानि समेत होते हैं कई नुकसान, कहीं आपकी कुंडली तो नहीं है दूषित?

राहु-केतु लगाते हैं कुंडली में ग्रहण योग जिससे धनहानि समेत होते हैं कई नुकसान, कहीं आपकी कुंडली तो नहीं है दूषित?

ज्योतिषी पिनाकी मिश्रा से जानिए कुंडली में ग्रहण योग होने से क्या-क्या नुकसान होते हैं।

Edited by: Jyoti Jaiswal @TheJyotiJaiswal
Updated : June 07, 2022 12:17 IST
कुंडली में ग्रहण योग
Image Source : PIXABAY कुंडली में ग्रहण योग

Highlights

  • राहु अथवा केतु का संपर्क जब सूर्य अथवा चंद्रमा से हो जाता तब ग्रहणयोग होता है
  • सूर्य ग्रहण योग में सूर्य की युति राहु अथवा केतु के साथ होती है
  • चंद्र ग्रहण योग में चंद्रमा की युति राहु अथवा केतु के साथ होती है

सूर्य एवं चंद्रमा के प्रकाश को प्रत्यक्ष अनुभव किया जा सकता है। अतः जब इनके प्रकाश पर किसी छाया ग्रह का प्रभाव पड़ता है, तब यहीं इनके प्रकाश पर ग्रहण लग जाता है। ज्योतिष में राहु एवं केतु को छाया ग्रह माना गया है। इसलिए राहु अथवा केतु का संपर्क जब सूर्य अथवा चंद्रमा से हो जाता तब ग्रहणयोग का निर्माण होता है। ज्योतिषी पिनाकी मिश्रा के अनुसार इस प्रकार ग्रहणयोग दो प्रकार के होते हैं-

  1. सूर्य ग्रहण योग 
  2. चंद्र ग्रहण योग 

सूर्य ग्रहण योग में सूर्य की युति राहु अथवा केतु के साथ होती है एवं चंद्र ग्रहण योग में चंद्रमा की युति राहु अथवा केतु के साथ होती है। सूर्य आत्मा का कारक ग्रह है, तथा चंद्र मन का। अतः जब राहु अथवा केतु की छाया इन प्रकाश ग्रहों पर पड़ती है तब व्यक्ति के आत्मविश्वास में कमी, मानसिक चंचलता तथा मानसिक अवसाद परिणामस्वरूप सामने आते हैं। यह ग्रहण योग जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपना प्रभाव डालते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह योग किस भाव मे बन रहे हैं, द्वादश भावों मे बनने वाले ग्रहण योग के प्रभाव कुछ इस प्रकार हैं-

  1. लग्न भाव में बना ग्रहण योग जीवन मे अस्थिरता, मानसिक चंचलता एवं मस्तिष्क तथा पेट संबंधी समस्याओं का कारण बनता है।
  2. द्वितीय भाव मे बना यह योग अकस्मात धन की हानि करवाता है। पैतृक संपत्ति का व्यय होता है तथा नेत्र में पीड़ा होती है।
  3. तृतीय भाव में ग्रहण योग के कारण व्यक्ति को पराक्रम एवं उत्साह में कमी का सामना करना पड़ता है। छोटे भाई-बहनों से भी पीड़ा होती है।
  4. चतुर्थ भाव में ग्रहण योग के कारण माता अथवा मातृपक्ष को कष्ट, जन्मस्थान का त्याग तथा पारिवारिक जीवन मे अशांति देता है।
  5. पंचम भाव में ग्रहण योग के कारण विद्य अध्ययन में रुकावट, संतान बाधा तथा संतान पक्ष से कष्ट देता है। पेट मे संक्रमण का कारण भी बनता है।
  6. छठे भाव में ग्रहण योग के कारण अदालती केस - मुकदमे, आत्महत्या की प्रकृति तथा ऋण की अधिकता प्रदान करता है।
  7. सप्तम भाव में यह योग विवाह बाधा एवं दांपत्य जीवन मे कलह देता है। साझेदारी के कामों में हानि तथा पेट मे एसिड की समस्या देता है।
  8. अष्टमस्थ ग्रहण योग आकस्मिक दुर्घटना एवं बढ़ाएं देता है।
  9. नवमस्थ ग्रहण योग भाग्योदय में बाधा देता है। साथ हीं साथ कुल एवं समाज मे अपयश भी प्रदान करता है।
  10. दशम भाव का ग्रहण योग कर्म क्षेत्र यानी कि नौकरी अथवा व्यवसाय में बाधा प्रदान करता है।
  11. एकादश भाव मे यह योग रहने के कारण अंतिम समय मे आता हुआ पैसा हाथ से चला जाता है।
  12. द्वादश भाव का यह योग आर्थिक कष्ट एवं स्वास्थ्य में दुर्बलता प्रदान करता है।

ज्योतिषी पिनाकी मिश्रा

(डिस्क्लेमर: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता। )

Shani Vakri Gochar: 5 जून को बदल गई शनि की चाल, जानिए उल्टी चाल का आप पर क्या पड़ेगा प्रभाव

Bada Mangal 2022: आज है ज्येष्ठ माह चौथा बड़ा मंगल, कष्टों को हरने वाली हनुमान जी की यह पूजा क्यों है खास?

Vastu Tips: विंड चाइम से खुल जाएगा आपका भाग्य, जानिए लगाने की सही दिशा

Vastu Tips: घर की इस दिशा में रखें कूलर, खुल जाएगी सोई किस्मत, होगी धन की बारिश

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement