Highlights
- प्रदोष व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है।
- प्रदोष व्रत करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है और सौभाग्य प्राप्त होता है।
- गुरु प्रदोष का व्रत करने से जातक को मनचाही सफलता मिलती है।
आज प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। माना जाता है कि- त्रयोदशी की रात के पहले पहर में जो व्यक्ति प्रदोष का व्रत कर किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है,वह जीवन में चल समस्याओं से छुटकारा पाता है और तरक्की की ओर अग्रसर होता है। आज गुरूवार होने से यह प्रदोष गुरु प्रदोष व्रत होगा। गुरु प्रदोष का व्रत करने से जातक को मनचाही सफलता मिलती है।
Ambedkar Jayanti 2022: आज है बाबा साहब अंबेडकर की जयंती, जानिए उनके अनमोल विचार
गुरु प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
गुरु प्रदोष व्रत 14 अप्रैल 2022 को त्रयोदशी तिथि सुबह 04 बजकर 49 मिनट से शुरू हो चुका है। यह कल 15 अप्रैल, शुक्रवार को सुबह 03 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। गुरु प्रदोष पूजा का शुभ समय 14 अप्रैल शाम 6.46 बजे से रात 9 बजे तक है।
प्रदोष व्रत के महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है, भगवान भोलेनाथ की पूजा इस विधि विधान से करने से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं। अकाल मृत्यु भी नहीं होती है और सौभाग्य प्राप्त होता है।
Chanakya Niti: अगर आपके घर में रोजाना घटित हो रही हैं ये चीजें तो समझ लीजिए आने वाला है बुरा समय
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
इस दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, ये समय सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय होता है। इस वक्त भगवान शिव का बेलपत्र और दूध से अभिषेक करें। शिव के मंत्रों का जाप करें, प्रदोष व्रत कथा कहें और आखिर में आरती करके प्रसाद बांटे।