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Pradosh Vrat 2022: सुख-समृद्धि के लिए रखें रवि प्रदोष व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

रविवार को भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन मास शिवरात्रि का व्रत भी पड़ रहा है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: January 29, 2022 16:57 IST
Pradosh Vrat 2022 Masik Shivratri Vrat - India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM@INSTABOOMSHIVA Pradosh Vrat 2022 Masik Shivratri Vrat 

Highlights

  • रविवार को एक साथ प्रदोष व्रत और मास शिवरात्रि व्रत
  • रविवार को बन रहा है खास योग
  • भगवान शिव की पूजा करने से बनेंगे हर बिगड़े हुए काम

प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन मास शिवरात्रि का व्रत भी पड़ रहा है। वहीं इस खास मौके पर सर्वार्थसिद्ध योग भी बन रहा है। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार प्रदोष व्रत और मास शिवरात्रि के साथ आधी रात को यह शुभ योग बन रहा है जिसका असर जातकों के जीवन पर जरूर पड़ेगा। 

प्रदोष व्रत की पूजा त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल के समय की जाती है। इसके आलावा जिस दिन प्रदोष होता है उस दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत का नाम रखा जाता है | इस बार रविवार को पड़ने वाले प्रदोष को रवि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। 

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आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार रात्रि के प्रथम प्रहर को यानि सूर्यास्त के बाद के समय को प्रदोष काल कहा जाता है | प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल के समय जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है, उसे जीवन में तरक्की ही तरक्की मिलती है | रवि प्रदोष का व्रत करने से लंबी आयु और आरोग्य की प्राप्ति होती है, साथ ही जातक अनजाने में हुये गलतियों से मुक्त होकर पुण्य को प्राप्त करता है और उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है | लिहाजा आज रात के पहले प्रहर में शिवजी को कुछ न कुछ भेंट अवश्य करना चाहिए। 

प्रदोष व्रत और मास शिवरात्रि शुभ मुहूर्त

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार,  सर्वार्थसिद्धि योग यानि कि सारे काम बनाने वाला योग रविवार को रात 12 बजकर 23 मिनट से सोमवार सुबह 6 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 जनवरी को रात 8 बजकर 38 मिनट पर शुरू हो गई है जिसका समापन 30 जनवरी शाम 5 बजकर 29 मिनट रहेगी। इसके साथ ही चतुर्दशी तिथि 30 जनवरी की शाम 5 बजकर 30 मिनट पर लग जाएगी और 31 जनवरी दोपहर 2 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। चतुर्दशी तिथि में रात्रि रविवार को ही रहेगी और मास शिवरात्रि की पूजा चतुर्दशी तिथि के रात्रि में ही होती है इसलिए मास शिवरात्रि का व्रत रविवार को ही किया जायेगा। 

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रवि प्रदोष व्रत पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर भगवान शिव का स्मरण करते हुए इस व्रत का संकल्प करें। शाम को सूर्यास्त होने के एक घंटे पहले स्नान करके सफेद कपडे पहनें। इसके बाद ईशान कोण में किसी एकांत जगह पूजा करने की जगह बनाएं। इसके लिए सबसे पहले गंगाजल से उस जगह को शुद्ध करें फिर इसे गाय के गोबर से लिपे। इसके बाद पद्म पुष्प की आकृति को पांच रंगों से मिलाकर चौक को तैयार करें। इसके बाद आप कुश के आसन में उत्तर-पूर्व की दिशा में बैठकर भगवान शिव की पूजा करें। भगवान शिव का जलाभिषेक करें साथ में ऊं नम: शिवाय: का जाप भी करते रहें। इसके बाद बेल पत्र, गंध, अक्षत (चावल), फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग व इलायची चढ़ाएं। शाम के समय पुन: स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें। शिवजी का षोडशोपचार पूजा करें, जिसमें भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजा करें। भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जाप करें। रात्रि में जागरण करें।

मास शिवरात्रि पूजा विधि

मास शिवरात्रि पर भगवान शंकर को बेलपत्र, पुष्प, धूप-दीप और भोग चढ़ाने के बाद शिव मंत्र का जप किया जाता है | कहते हैं मास शिवरात्रि के दिन ऐसा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है और जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान भी निकलता है | इसके अलावा  जो भक्त मास शिवरात्रि का व्रत करते हैं, भगवान शिव उनसे प्रसन्न होकर उनके सभी कार्यों को सफल बनाते हैं। 

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