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Paush Amavasya 2022: पौष अमावस्या कब है? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

अमावस्या के दिन किसी तीर्थ स्थान पर जाकर स्नान-दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है तथा घर में खुशहाली बनी रहती है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: December 31, 2021 7:49 IST
Paush Amavasya 2022- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/BHAGWAANJIOFFICIAL Paush Amavasya 2022

Highlights

  • पौष कृष्ण पक्ष की इस अमावस्या को दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस अमावस्या के दिन स्नान-दान का बड़ा ही महत्व है।
  • अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण भी किया जाता है।

पौष कृष्ण पक्ष की स्नान-दान श्राद्धादि की अमावस्या है । पौष कृष्ण पक्ष की इस अमावस्या को दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। साल 2022 की पहली अमावस्या 2 जनवरी को पड़ रही है। उड़ीसा में पौष अमावस्या को वकुला अमावस्या के नाम से जाना जाता है। धार्मिक रूप से इस अमावस्या के दिन स्नान-दान का बड़ा ही महत्व है।

माना जाता है कि इस दिन किसी तीर्थ स्थान पर जाकर स्नान-दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है तथा घर में खुशहाली बनी रहती है। इसके आलावा पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिये और अपने पितरों का आशीर्वाद पाने के लिये अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण भी किया जाता है। 

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अमावस्या का शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 2 जनवरी  सुबह 3 बजकर 41 मिनट से प्रारंभ 

अमावस्या  तिथि समाप्त: 2 जनवरी 2022 की रात 12 बजकर 4 मिनट तक 

अमावस्या पर बन रहे हैं खास योग

पौष अमावस्या के दिन काफी खास योग बन रहे हैं। सारे काम बनाने वाला योग यानी  सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 6 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर शाम 4 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही सुबह 9 बजकर 42 मिनट तक वृद्धि योग रहेगा। उसके बाद ध्रुव योग लग जायेगा।

अमावस्या पूजा विधि

  1. कोरोना के कारण अगर आप किसी नदी में स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो घर पर स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर लें। इसका भीशुभ फल मिलता है।
  2. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए।
  3. पितृ दोष से मुक्ति के लिए और अपने पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन दूध, चावल की खीर बनाकर, गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर, उस पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाना चाहिए। भोग लगाने के बाद थोड़ा-सा पानी लेकर अपने दायें हाथ की तरफ, यानी भोग की बाईं साइड में छोड़ दें । 
  4. अगर आप दूध-चावल की खीर नहीं बना सकते तो इस दिन घर में जो भी शुद्ध ताजा खाना बना है और उससे ही पितरों को भोग लगा दें ।
  5.  एक लोटे में जल भरकर, उसमें गंगाजल, थोड़ा-सा दूध, चावल के दाने और तिल डालकर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पितरों का तर्पण करना चाहिए।

 

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