Highlights
- 3 मई को परशुराम जयंती है।
- भगवान परशुराम, भगवान शिव के एकमात्र शिष्य हैं।
Parshuram Jayanti 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है। इस दिन अक्षय तृतीया भी मनाई जाती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास की तृतीया तिथि को भगवान परशुराम का जन्म प्रदोष काल में हुआ था। भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठा स्वरूप माना जाता है। भगवान परशुराम के बारे में कहा जाता है कि ये आज भी जीवित हैं।
परशुराम जयंती का मुहूर्त
तृतीया तिथि प्रारंभ
3 मई की सुबह 5 बजकर 20 मिनट से शुरू
तृतीया तिथि समाप्त
4 मई 2022 को सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर समाप्त
कैसे करें परशुराम जयंती पर पूजा
तृतीया तिथि पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठिए, सुबह दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें और साफ सुथरे कपड़े पहनकर मंदिर की सफाई करें और एक चौकी में लाल कपड़ा बिछाकर भगवान परशुराम की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद जल, अक्षत, फूल, रोली, तुलसी दल और चंदन का अर्पण करें। भोग में मिठाई और फल चढ़ाएं। भगवान परशुराम की पूजा करें और घी का दीपक जलाकर आरती करें। जो जातक व्रत रख रहे हैं वो फलाहार करें और अनाज का सेवन न करें।
परशुराम भगवान के मंत्र
ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।
ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।
क्या है परशुराम जयंती का महत्व
परशुराम जयंती का हिंदू धर्म में खास महत्व है। मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक व्रत रखने से मोक्ष मिलता है, जो लोग निसंतान हैं वो अगर इस दिन व्रत रखते हैं तो उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु की कृपा होती है। भगवान परशुराम, भगवान शिव का एकमात्र शिष्य हैं, कड़ी तपस्या करके परशुराम ने भगवान शिव को प्रसन्न किया था और वरदान में उन्हें परशु (फरसा) मिला था।