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Nirjala Ekadashi 2022: निर्जला एकादशी कब है? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Nirjala Ekadashi 2022 : आइए जानते हैं निर्जला एकादशी का पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।

Written by: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Updated on: June 10, 2022 11:51 IST
Nirjala Ekadashi 2022- India TV Hindi
Image Source : TWITTER/ @ANNUBANSAL12 Nirjala Ekadashi 2022

Highlights

  • निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ शुक्ल की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।
  • इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून को रखा जाएगा।

Nirjala Ekadashi 2022 :  निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ शुक्ल की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून को रखा जाएगा। इस व्रत में पानी पीना वर्जित माना जाता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है।  इसे भीमसेन एकादशी, पांडव एकादशी और भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। प्रत्येक महीने में दो एकादशियां होती हैं, एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में। उत्तम संतान की इच्छा रखने वालों को शुक्ल पक्ष की एकादशी का उपवास एक वर्ष तक करना चाहिए। एकादशी का व्रत रखने से श्री हरि अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। 

मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन बिना जल के उपवास रहने से मनचाहा फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति साल की सभी एकादशियों पर व्रत नहीं कर सकता, वो इस एकादशी के दिन व्रत करके बाकी एकादशियों का लाभ भी उठा सकता है। आइए जानते हैं निर्जला एकादशी की तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त। 

निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त

  • निर्जला एकादशी तिथि- 10 जून 2022
  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 10 जून को सुबह 7 बजकर 25 मिनट से शुरू
  • एकादशी तिथि समाप्‍त: 11 जून शाम 5 बजकर 45 मिनट तक

पूजा विधि

  • निर्जला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें
  • उसके बाद पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु का स्मरण करें और शेषशायी भगवान विष्णु की पंचोपचार पूजा करें। 
  • अब 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।  
  • उसके बाद भगवान की पूजा धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों के साथ करें और रात को दीपदान करें।
  • पीले फूल और फलों को अर्पण करें। 
  • इस दिन रात को सोए नहीं। सारी रात जगकर भजन-कीर्तन करें। 
  • साथ ही भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा मांगे। 
  • शाम को पुन: भगवान विष्णु की पूजा करें और रात में भजन कीर्तन करते हुए धरती पर विश्राम करें।
  • अगले दिन यानी कि 11 जून को सुबह उठकर स्नान आदि करें। 
  • इसके बाद ब्राह्मणों को आमंत्रित करके भोजन कराएं और उन्हें अपने अनुसार भेट दें। 
  • इसके बाद सभी को प्रसाद खिलाएं और फिर खुद भोजन करें। 

डिस्क्लेमर - ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।

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