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Navratri 2022: शादी नहीं हो रही है तो नवरात्रि के छठे दिन ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा, जानें विधि, व्रत और कथा

मां दुर्गा का ये स्वरूप अत्यन्त ही दिव्य है। इनका रंग सोने के समान चमकीला है, तो इनकी चार भुजाओं में से ऊपरी बायें हाथ में तलवार और निचले बायें हाथ में कमल का फूल है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: April 06, 2022 7:03 IST
Navratri 2022- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Navratri 2022

Highlights

  • नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है
  • मां कात्यायनी शादी से जुड़ी समस्याएं दूर करती हैं

7 अप्रैल को चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि और गुरुवार का दिन है । षष्टी तिथि रात 8 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। उसके बाद सप्तमी तिथि लग जाएगी। 7 अप्रैल को चैत्र नवरात्र का छठवां दिन है। नवरात्र के दौरान षष्ठी तिथि को आज चर्चा करेंगे देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी के बारे में- दरअसल ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण देवी मां को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है । मां दुर्गा का ये स्वरूप अत्यन्त ही दिव्य है। इनका रंग सोने के समान चमकीला है, तो इनकी चार भुजाओं में से ऊपरी बायें हाथ में तलवार और निचले बायें हाथ में कमल का फूल है।

मां कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए मंत्र

कहते हैं मां कात्यायनी की उपासना से व्यक्ति को किसी प्रकार का भय या डर नहीं रहता और उसे किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता और सबसे बड़ी बात, देवी मां की उपासना उन लोगों के लिये बेहद ही लाभकारी है, जो बहुत समय से अपने लिये या अपने बच्चों के लिये शादी का रिश्ता ढूंढ रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल पा रहा है । लिहाजा अगर आप भी इस तरह की समस्याओं से परेशान हैं, तो आज मां कात्यायनी की उपासना करके आपको लाभ जरूर उठाना चाहिए। पूजा के दौरान माता के इस मन्त्र का जप करें। मन्त्र है-

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यम्बिके  गौरी नारायणी नमोस्तुते।

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गोपियों ने की थी मां कात्यायनी की पूजा

माना जाता है कि- भगवान श्री कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने कालिन्दी यमुना के तट पर मां कात्यायनी की ही पूजा की थी । इसलिए देवी मां को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी पूजा जाता है । साथ ही आपको बता दूं कि- ग्रहों में इनका आधिपत्य बृहस्पति ग्रह, यानी गुरु पर रहता है और आज गुरुवार का दिन भी है। लिहाजा गुरु संबंधी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिये भी आज मां कात्यायनी की पूजा करना आपके लिये विशेष हितकारी होगा।

कन्या के विवाह में आ रही परेशानियों को हरेंगी मां कात्यायनी

अगर आपकी कन्या के विवाह में किसी प्रकार की परेशानी आ रही है तो आज मां कात्यायनी के इस मंत्र का जप करें। मंत्र है- 

‘ऊँ क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी,
नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।’

आज इस मंत्र का 11 बार जाप करने से आपकी कन्या के विवाह में आ रही परेशानी जल्द ही दूर होगी।

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 षष्ठी तिथि में बेल के वृक्ष का महत्व

दुर्गार्चन पद्धति के अनुसार आज षष्ठी तिथि में शाम के समय व्रती को बेल के पेड़ के पास जाकर देवी मां का बोधन करना चाहिए, अर्थात् उन्हें जगाना चाहिए और कहना चाहिए- “रावण के नाश के लिये एवं राम पर अनुग्रह करने के लिये ब्रह्मा ने तुम्हें अकाल में जगाया, अतः मैं भी तुम्हें चैत्र की षष्ठी की संध्या में जगा रहा हूं।

इस प्रकार दुर्गा के बोधन के बाद बेल वृक्ष से कहें- ''हे बेल वृक्ष, तुमने श्रीशैल पर जन्म लिया है और तुम लक्ष्मी के निवास हो, तुम्हें ले चलना है। चलो, तुम्हारी पूजा दुर्गा के समान करनी है।'' इसके बाद बेल के पेड़ पर थोड़ी मिट्टी, इत्र, पत्थर, 7 अनाज, दूर्वा, फल, फूल, दही और घी चढ़ाने के बाद सिंदूर से स्वास्तिक बनाना चाहिए और उसे दुर्गा के निवास के योग्य बनाना चाहिए।

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इसके बाद वापस घर में दुर्गा पूजा स्थान पर आकर देवी मां का आचमन करना चाहिए और अपराजिता की लता पूजा स्थान पर लगानी चाहिए। अगर अपराजिता की लता न मिले तो 9 पौधों की पत्तियों को एक में गूंथने का विधान है। वो नौ पौधे हैं- कदली यानि केला, दाड़िम यानि अनार, धान्य, हरिद्रा, माणक, कचु, बिल्व, अशोक और जयंती । जरूरी नहीं है कि इनमें से सारी पत्तियां आपको मिल ही जायें, आपको जो-जो मिल जाये उन्हें एक साथ गूंथकर देवी के मंडप में लगाइये । कुछ लोग इस दिन मिट्टी से बनी दुर्गा जी की मूर्ति को भी घर में स्थापित करते हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धारमिक आसथा और लोक मानयताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुषटि नहीं करता है। इसे सामान जनरुचि को यान में रखकर यहां रसतुत किया गया है।)

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