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Mokshada Ekadashi 2021: मोक्षदा एकादशी आज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा

मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी व्रत रखने का विधान हैं । जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत तथा के बारे में

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : December 14, 2021 11:59 IST
Mokshada ekadashi 14 december 2021 shubh muhurt puja vidhi and vrat katha baikunth ekadashi
Image Source : INSTAGRAM/HINDU_PRIEST1 Mokshada ekadashi 14 december 2021 shubh muhurt puja vidhi and vrat katha baikunth ekadashi

Highlights

  • एकादशी के दिन करें भगवान विष्णु की पूजा
  • मोक्षदा एकादशी के दिन पूजा करने से हर पाप से मिलेगी मुक्ति

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि और मंगलवार का दिन है। एकादशी तिथि रात 11 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी व्रत रखने का विधान हैं । 

इस एकादशी को वैकुण्ठ या मौनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है । शास्त्रों में इस एकादशी का बड़ा ही महत्व बताया गया है । कहते हैं मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही कुरुक्षेत्र की भूमि पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था । इसी कारण आज गीता जयंती भी मनायी जाती है।

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मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त 

मोक्षदा एकादशी तिथि 13 दिसंबर सोमवार की रात 9 बजकर 32 मिनट से शुरू हो रही है जो अगले आज  रात 11 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। वहीं  व्रत का पारण समय 15 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 5 मिनट से सुबह 09 बजकर 09 मिनट के बीच है।

मोक्षदा एकादशी पूजा विधि 

आज मोक्षदा एकादशी को भगवान विष्णु के दामोदर रूप की पूजा की जाती है । भगवान विष्णु के शंख, गदा, चक्र और पद्मधारी रूप को दामोदर की संज्ञा दी गयी है। शास्त्रों के अनुसार स्वंय भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर से कहा है कि इस दिन तुलसी की मंजरी, धूप-दीप आदि से भगवान दामोदर का पूजन करना चाहिए। 

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आज मोक्षदा एकादशी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान दामोदर का स्मरण करते हुए सबसे पहले जल में गंगाजल डालकर पूरे घर में छिड़कना चाहिए और उसके बाद विधि-विधान से भगवान का पूजन करना चाहिए। पूजा के समय ‘भगवद्गीता’ की एक प्रति भी रखनी चाहिए और संभव हो तो आज गीता के कुछ अंश जरूर पढ़ने चाहिए। कहते हैं मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है । साथ ही आज पूजा के बाद किसी ब्राह्मण को भोजन कराने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है ।

मोक्षदा एकादशी कथा

पुरातन काल में गोकुल नगर में वैखानस नाम के राजा राज्य करते थे। एक रात उन्होंने देखा उनके पिता नरक की यातनाएं झेल रहे हैं। उन्हें अपने पिता को दर्दनाक दशा में देख कर बड़ा दुख हुआ। सुबह होते ही उन्होंने राज्य के विद्धान पंडितों को बुलाया और अपने पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा। उनमें से एक पंडित ने कहा आपकी समस्या का निवारण भूत और भविष्य के ज्ञाता पर्वत नाम के पंहुचे हुए महात्मा ही कर सकते हैं। अत: आप उनकी शरण में जाएं।

राजा पर्वत महात्मा के आश्रम में गए और उनसे अपने पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा, "महात्मा ने उन्हें बताया की उनके पिता ने अपने पूर्व जन्म में एक पाप किया था। जिस का पाप वह नर्क में भोग रहे हैं।"

राजा न कहा," कृपया उनकी मुक्ति का मार्ग बताएं।"

महात्मा बोले," मार्गशीर्ष मसके शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है। उस एकादशी का आप उपवास करें। एकादशी के पुण्य के प्रभाव से ही आपके पिता को मुक्ति मिलेगी।" राजा ने महात्मा के कहे अनुसार व्रत किया उस पुण्य के प्रभाव से राजा के पिता को मुक्ति मिल गई और वह स्वर्ग में जाते हुए अपने पुत्र से बोले, "हे पुत्र! तुम्हारा कल्याण हों, यह कहकर वे स्वर्ग चले गए।"

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