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Margashirsha Purnima 2021: साल की आखिरी मार्गशीर्ष पूर्णिमा आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दौरान भगवान विष्णु के कृष्ण स्वरूप की पूजा का अधिक महत्व है। जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: December 19, 2021 6:30 IST
Margashirsha Purnima 2021 - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Margashirsha Purnima 2021 

Highlights

  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा को अगहन पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है
  • पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है
  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव की उपासना का भी महत्व है

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्व है। आमतौर पर पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा का महत्व है, लेकिन मार्गशीर्ष के दौरान भगवान विष्णु के कृष्ण स्वरूप की पूजा का अधिक महत्व है। इसलिए  मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के साथ ही उनके स्वरूप भगवान श्री कृष्ण की भी उपासना करनी चाहिए। 

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव की उपासना का भी महत्व है। कहते हैं आज ही चंद्रदेव अमृत से परिपूर्ण हुए थे। इसके अलावा आज श्री दत्तात्रेय जयंती भी है। माना जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा को प्रदोषकाल के समय दत्तात्रेय जी का जन्म हुआ था।  इसलिए शाम के समय भगवान दत्तात्रेय की पूजा-अर्चना भी की जाती है।

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मार्गशीर्ष माह की इस पूर्णिमा को अगहन पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है । दरअसल किसी भी महीने की पूर्णिमा के दिन जो नक्षत्र पड़ता है, उसी के आधार पर पूर्णिमा का नाम भी रखा जाता है। 

इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2 दिन पड़ रही हैं। लेकिन चंद्रोदय 18 दिसंबर की शाम को हो रहा है, जिसके कारण व्रतादि की पूर्णिमा इस दिन रखी जाएगी और 19 दिसंबर की सुबह सूर्योदय के समय पूर्णिमा का स्नान-दान किया जायेगा।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 18 दिसंबर सुबह 7 बजकर 25 मिनट से शुरू

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 19 दिसंबर सुबह 10 बजकर 5 मिनट तक 
चंद्रोदय का समय- 18 की शाम 4 बजकर 53 मिनट 

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत एवं पूजन करने सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कि जाती है। इस दिन मन को पवित्र करके स्नान करें और सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें। हो सके तो इस दिन किसी योग पंडित से पूजा कराएं।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस दिन सत्यनारायण की कथा सुनना और पढ़ना बहुत शुभ माना गया है। इस दिन भगवान नारायण की पूजा धूप, दीप आदि से करें। इसके बाद चूरमा का भोग लगाएं। यह इन्हें अतिप्रिय है। बाद में चूरमा को प्रसाद के रुप में बांट दें। 

पूजा के बाद ब्राह्मणों को दक्षिणा देना न भूलें। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु आपके ऊपर कृपा बरसाते है।  पौराणिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अमृत बरसाता है। इस दिन बाहर खीर रखना चाहिए। फिर इसका दूसरे दिन सेवन करें। अगर आपके कुंडली में चंद्र ग्रह दोष है, तो इस दिन चंद्रमा की पूजा करना चाहिए।

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