Highlights
- मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान करने का विशेष महत्व
- मकर संक्रांति के दिन इन कामों को करने मिलती हैं सुख-समृद्धि
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार साल में कुल बारह संक्रांतियां होती हैं, जिनमें से सूर्य की मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति बेहद खास हैं। इन दोनों ही संक्रांति पर सूर्य की गति में बदलाव होता है। जब सूर्य की कर्क संक्रांति होती है, तो सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन और जब सूर्य की मकर संक्रांति होती है, तो सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। इस बार मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी 2022 को ही मनाया जाएगा।
सूर्य के उत्तरायण होने का उत्सव ही मकर संक्रांति कहलाता है। इसलिए कहीं-कहीं पर मकर संक्रांति को उत्तरायणी भी कहते हैं। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार मकर संक्रांति का दिन दान-पुण्य के लिए काफी शुभ माना जाता है। इस दिन कुछ काम करने आप कई गुना अधिक फल पा सकते हैं। जानिए मकर संक्रांति के दिन कौन से काम करना माना जाता है शुभ।
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पवित्र नदीं में करें स्नान
सभी संक्रांति पर तीर्थस्थलों पर स्नान और दान का बड़ा ही महत्व है। मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व है, लेकिन अगर आप वहां जाने में असमर्थ हैं तो इस दिन घर पर ही सामान्य पानी से स्नान करना चाहिए और हो सके तो, उस जल में थोड़ा सा पवित्र नदियों का जल मिलाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है और उसे धन की कोई कमी नहीं होती।
पानी में तिल का तेल डालकर करें स्नान
कहते हैं संक्रांति से एक दिन पूर्व, यानि आज व्यक्ति को केवल एक बार मध्याहन में भोजन करना चाहिए और संक्रांति के दिन दांतों को साफ करके जल में तिल मिलाकर स्नान करना चाहिए या स्नान से पहले तिल का तेल या तिल का उबटन लगाना चाहिए।
संक्रांति के दिन दान दक्षिणा या धार्मिक कार्य का सौ गुना फल मिलता है। कहा भी गया है-
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥
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जरूर करें दान
इस दिन व्यक्ति को किसी गृहस्थ ब्राह्मण को भोजन या भोजन सामग्रियों से युक्त तीन पात्र देने चाहिए और संभव हो तो यम, रुद्र और धर्म के नाम पर गाय का दान करना चाहिए। यदि किसी के बस में ये सब दान करना नहीं है, तो वह केवल फल का दान करें, लेकिन कुछ न कुछ दान जरूर करें। इसके साथ ही यह श्लोक पढ़ना चाहिए-
‘यथा भेदं न पश्यामि शिवविष्णवर्कपद्मजान्।
तथा ममास्तु विश्वात्मा शंकरः शंकरः सदा।।‘
इसका अर्थ है- मैं शिव एवं विष्णु तथा सूर्य एवं ब्रह्मा में अन्तर नहीं करता। वह शंकर, जो विश्वात्मा है, सदा कल्याण करने वाला हो।
बिना तेल वाले भोजन का करें सेवन
मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उड़द की दाल और चावल का दान किया जाता है, साथ ही तिल, चिड़वा, सोना, ऊनी वस्त्र, कम्बल आदि दान करने का भी महत्व है। दान के बाद बिना तेल वाला भोजन करना चाहिए और यथाशक्ति अन्य लोगों को भी भोजन देना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार पुत्रवान ग्रहस्थ को संक्रांति पर, कृष्ण एकादशी पर और चन्द्र और सूर्य ग्रहण पर उपवास नहीं करना चाहिए।