Friday, November 22, 2024
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Mahashivratri 2022: इस तरह के बेलपत्र चढ़ाने से रुष्ट हो सकते हैं शिवजी, इन बातों का रखें ध्यान

भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाना काफी शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार अगर शिवलिंग में विधिवत तरीके से बेलपत्र अर्पित की जाए तो आपकी इच्छा जरूर पूर्ण होती है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: February 28, 2022 13:12 IST
belpatra- India TV Hindi
Image Source : INST/BABITACHANDRAJWAR belpatra

Highlights

  • शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय वस्तु धतूरा, शमी, अपामार्ग, बेलपत्र के साथ कई चीजों चढ़ाई जाती हैं
  • भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाना काफी शुभ माना जाता है
  • शिवलिंग पर विधिवत तरीके से बेलपत्र अर्पित की जाए तो आपकी इच्छा जरूर पूर्ण होती है

महाशिवरात्रि का पर्व इस बार 1 मार्च यानी कल मनाया जाएगा। इस दिन शिव भक्त भगवान शकंर या भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं। फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान शिव की  विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय वस्तु धतूरा, शमी, अपामार्ग, बेलपत्र के साथ कई चीजों चढ़ाई जाती हैं।

भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाना काफी शुभ माना जाता है। शास्त्रों  के अनुसार अगर शिवलिंग पर विधिवत तरीके से बेलपत्र अर्पित की जाए तो आपकी इच्छा जरूर पूर्ण होती है। बेलपत्र को संस्कृत में 'बिल्वपत्र' कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता जाता है बेलपत्र और जल से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल रहता है। पूजा में इनका प्रयोग करने से वे बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव को बेलपत्र और इसको चढ़ाते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, चलिए जानते हैं इनके बारे में-

इस दिन नहीं तोड़ना चाहिए बेलपत्र-

शास्त्रों के अनुसार बेलपत्र चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों के अलावा सं‍क्रांति के समय और सोमवार को नहीं तोड़ना चाहिए। स्कंदपुराण के अनुसार अगर आपको बेलपत्र नहीं मिल रहे हैं तो शिवलिंग में चढ़े हुए पत्रों को धोकर दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं।

ऐसे न तोड़ें बेलपत्र-
कभी भी बेलपत्र को टहनी सहित नहीं तोड़ना चाहिए। बल्कि बेलपत्र चुन-चुनकर तोड़ना चाहिए, जिससे कि वृक्ष को नुकसान न पहुंचे। इसके साथ ही बेलपत्र तोड़ने से पहले और बाद में वृक्ष को मन ही मन प्रणाम कर लेना चाहिए।  

कभी उल्टी ओर न चढ़ाएं बेलपत्र-
भगवान शिव को हमेशा उलटा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला वाला भाग स्पर्श कराते हुए चढ़ाएं। बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं। शिव जी को बिल्वपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं।

कटा-पिटा न हो बेलपत्र-
बेलपत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए। कोशिश करें तो बेलपत्र कटा-फटा न हो। कहते हैं बेलपत्र में अधिक धारियां नहीं होनी चाहिए। यह पूजा के लिए खंडित माना जाता है।

इस तरह के बेलपत्र माने जाते हैं उत्तम-
बेलपत्र 3 से लेकर 11 दलों तक के होते हैं। ये जितने अधिक पत्र के हो, उतने ही उत्तम माने जाते हैं।

न करें अनादर-
शिवलिंग पर दूसरे के चढ़ाए बेलपत्र की उपेक्षा या अनादर नहीं करना चाहिए। कई लोगों की आदत होती हैं कि अपने बेलपत्र चढ़ाने के लिए दूसरों के हटा देते हैं। पुराण के अनुसार बिल्कुल भी ऐसा नहीं करना चाहिए।

क्यों चढ़ाते हैं तीन पत्तियों वाला बेलपत्र-
भगवान शिव और तीन के अंक का गहरा संबंध है। इसका संबंध आप ललाट पर भस्म की तीन क्षैतिज रेखाएं, त्रिनेत्र, त्रिशूल आदि से भी देख सकते हैं। पुराणों के अनुसार बेलपत्र को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है। 

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी  इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले इससे  संबंधित पंडित ज्योतिषी से संपर्क करें।

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