Highlights
- लोहड़ी के त्योहार को वसंत ऋतु के आगमन के तौर पर भी मनाया जाता है।
- त्योहार में रवि की फसलों से उपजे अन्न को अग्नि में समर्पित करते हैं।
- ऐसी मान्यता है कि लोहड़ी के दिन साल की सबसे लंबी रात होती है।
साल का पहले त्योहार लोहड़ी, मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले आता है। इसे लोग पूरे धूमधाम के साथ मानते हैं। मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में बड़े पैमाने पर मनाए जाने वाले इस त्योहार में लोगों में एकजुटता देखने को मिलती है। आइए जानते हैं लोहड़ी के त्योहार से जुड़ी क्या-क्या मान्यताएं हैं और ये त्यौहार लोगों के बीच खास महत्व क्यों रखता है।
जानें लोहड़ी के त्योहार में अग्नि में क्यों डाला जाता है अन्न
लोहड़ी के त्योहार को वसंत ऋतु के आगमन के तौर पर भी मनाया जाता है। इसलिए रवि की फसलों से उपजे अन्न को अग्नि में समर्पित करते हैं, नई फसलों का भोग लगाकर देवताओं से धन और संपन्नता की कामना करते हैं।
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जानें क्या है लोहड़ी के त्यौहार की खासियत
लोहड़ी का त्योहार शरद ऋतु के अंत में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि लोहड़ी के दिन साल की सबसे लंबी रात होती है और अगले दिन से धीरे धीरे दिन बढ़ने लगता है। लोहड़ी का त्योहार किसानों को समर्पित है। इस समय रबी की फसल कटकर आती है और नई फसल की बुवाई की तैयारी शुरू करने से पहले लोहड़ी का जश्न मनाया जाता है। इस दिन किसान प्रार्थना करते हैं कि उनकी आने वाली फसल अच्छी हो।
इस तरह से मनाया जाता है लोहड़ी का त्यौहार
लोहड़ी का त्यौहार शाम के समय मनाया जाता है। इस पर्व पर मूंगफली, गुड़, तिल और गजक खाया जाता है। शाम के समय घर के सभी लोग घर के बाहर लोहड़ी जलाते हैं। इसी लोहड़ी में मूंगफली, गजक, तिल और मक्का डालकर उसकी परिक्रमा करते हैं और आने वाले सुखद भविष्य की प्रार्थना करते हैं। इसके साथ ही परिवार के लोग लोहड़ी के चारों तरफ परिक्रमा करते हुए लोकगीत गाते हैं। यह त्योहार नए शादीशुदा जोड़ों के लिए भी बहुत खास होता है। नए शादीशुदा जोड़े लोहड़ी की अग्नि में आहुति देकर अपनी खुशहाल जीवन की कामना करते हैं।