हिंदू वैदिक ज्योतिष में कुंडली में ग्रहों के चलते बनने वाले योगों पर बहुत कुछ कहा गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी की कुंडली में सभी सात बड़े ग्रह (सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र, बृहस्पति, शनि और मंगल) छाया ग्रहों जैसे राहु और केतु के बीच आते हैं, तो काल सर्प योग या वासुकी काल सर्प दोष का योग बनता है। ग्रहों के इस संयोजन के चलते व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प योग बनता है जिसे आमतौर पर बड़ा कष्टकारी कहा जाता है क्योंकि इस योग के चलते जातक बहुत सी परेशानियों से गुजरता है।
जन्म कुंडली में काल सर्प दोष के चलते जातक के जीवन में प्रेम, धन, करियर, परिवार, विवाह और पेशे में भी परेशानियां आती हैं और व्यक्ति की जिंदगी में काफी नुकसान होता है।
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि काल सर्प दोष अपने समय काल में जातक के हर पहलू पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इतना ही नहीं दि किसी व्यक्ति की कुंडली में अगर ग्रह अनुकूल स्थिति में हों तो भी काल सर्प योग उनके सकारात्मक प्रभावों को समाप्त कर परेशानियां पैदा कर देता है।
काल सर्प योग के भी कई प्रकार होते हैं। आंशिक काल सर्प दोष और पूर्ण कालसर्प दोष भी होते हैं।
हालांकि ज्योतिष कहता है कि हर बार काल सर्प योग विनाश ही नहीं करता। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राज योग है, तो काल सर्प दोष का प्रभाव और विनाश कम प्रभावशाली होता है। ऐसे लोगों को काल सर्प योग होने के बावजूद जीवन में धन दौलत और सफलता मिलती है।
चलिए जानते हैं सभी कालसर्प दोष के प्रकार और उसके प्रभाव -
वासुकी काल
ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार वासुकी काल सर्प योग दुर्भाग्य की पहचान बनता है। प्रयास करने के बावजूद मेहनत का फल नहीं मिलता और जातक परेसान रहता है। परिवार के सदस्यों, खासकर भाई और बहन से विरोधाभास होता रहता है।
कुलिक काल
ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार कुलिक काल सर्प दोष सेहत पर बुरा असर डालता है। सड़क हादसा, दुर्घटना या आर्थिक नुकसान के योग बनते हैं। कुलिक काल सर्प से पीड़ित जातक बुरी आदतों का शिकार बनता है। ये सर्प दोष दिवालिया भी बना देता है, ऐसा ज्योतिष कहता है।
अनंत काल
ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार अनंत काल सर्प दोष को विपरीत काल सर्प योग भी कहते हैं। यह जातक के जीवन में वैवाहिक दिक्कतें पैदा करता है। या तो शादी होती नहीं और होती है तो देर से। देर से होती है तो भी विवाह में मतभेद बने रहते हैं।
शंखपाल काल
ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार कुंडली में शंखपाल काल सर्प योग बाल्यकाल की परेशानियों से जुड़ा है। जातक को बचपन में या युवा अवस्था में परेशानी होती है। बचपन में बड़ी बीमारी, बुरी संगति का शिकार लोग हो जाते हैं। ऐसे लोग कम पढ़ने लिखने के कारण आजीविका के संकट से भी परेशान रहते हैं।
पदम काल
ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार कुंडली में पदम काल सर्प दोष होता संतान को लेकर चिंता और भय से जुड़ा है। जातक को संतान पैदा करने में दिक्कत आती है, फिर उनकी पढ़ाई लिखाई और परवरिश को लेकर दिक्कतें होती हैं। रिश्तों में विवाद और असफलता भी इसी काल सर्प योग के चलते पैदा होती हैं।
महापदम काल
ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार कुंडली में महापदम काल सर्प दोष शत्रुओं की संख्या बढ़ाता है। ऐसे लोग विरोधियों के कारण परेशान रहते हैं। कोर्ट केस, जमीनी लड़ाई, दफ्तर में सीनियर के साथ खराब रिश्ते, बिजनेस में दुश्मनी के योग बनते हैं। हालाँकि, ज्योतिष यह भी कहता है कि अगर ये योग लाभकारी स्थिति में हो तो जातक को शक्ति या राजनीतिक सफलता दिला सकता है। इसलिए कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति देखकर इस योग का आकलन किया जा सकता है।
डिस्क्लेमर - ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता, पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।