Monday, December 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. जीवन मंत्र
  4. Holi 2022: इस बार होली पर होलिका दहन के लिए ना इस्तेमाल करें इन पेड़ों की लकड़ियां, होता है अशुभ

Holi 2022: इस बार होली पर होलिका दहन के लिए ना इस्तेमाल करें इन पेड़ों की लकड़ियां, होता है अशुभ

कुछ ऐसे पेड़ हैं जिनकी लकड़ियां आप दहन में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, क्योंकि ऐसा करना अशुभ फल देता है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : March 12, 2022 12:51 IST
 Holika Dahan
Image Source : FREEPIK  Holika Dahan

Highlights

  • होली इस बार 18 मार्च 2022 को है।
  • वहीं 17 मार्च को होलिका दहन होगा।

होली के एक दिन पहले होलिका दहन होता है। इस बार होलिका दहन 17 मार्च, गुरुवार को मनाया जाएगा। होलिका दहन के महीने भर पहले से ही लोग दहन के लिए लकड़ियां एकत्र करने लगते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर पेड़ की लकड़ियां आप दहन के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। ये बिल्कुल सच है, कुछ ऐसे पेड़ हैं जिनकी लकड़ियां आप दहन में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।  

होलिका दहन में ये लकड़ियां जलाना होता है अशुभ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कभी भी होलिका दहन के लिए पीपल, शमी, आंवला, नीम, आम, केले और बेल की लकड़ियां इस्तेमाल ना करें। ये सभी पेड़ सनातन धर्म में विशेष महत्व रखते हैं। इसके अलावा कभी भी हरे-भरे पेड़ की लकड़ियां नहीं दहन में नहीं डालनी चाहिए। आप खर-पतवार, सूखी लकड़ियां आदि का इस्तेमाल दहन में कर सकते हैं। इससे आस-पास की सफाई भी होगी और हरे पेड़ भी नहीं कटेंगे।

कौन सी लकड़ियां होलिका दहन के लिए हैं शुभ

ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन में गूलर और अरंडी के पेड़ की लकड़ियां इस्तेमाल करना शुभ होता है। इस मौसम में गूलर की टहनियां खुद-ब-खुद सूखकर गिर जाती हैं, इसलिए उसका इस्तेमाल करना अच्छा है। इसके अलावा आप होलिका दहन में गाय के गोबर के उपले और कंडे भी जला सकते हैं, ये काफी शुभ होता है।

कब है होली?

होली इस बार 18 मार्च को है। वहीं होलिका दहन 17 मार्च की रात को होगा।

होली मनाने के पीछे की पौराणिक कथा

होली मनाने के पीछे शास्त्रों में कई कथाएं हैं, लेकिन जो सबसे ज्यादा प्रचलित है वो है हरि भक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी । पौराणिक कथाओं के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है। कथा के अनुसार, असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। बालक प्रह्लाद को भगवान की भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती।

भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई थीं, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति और प्रताप ही था कि होलिका खुद ही आग में जल गई। वहीं प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। 

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement