Tuesday, November 05, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. जीवन मंत्र
  4. Holi 2022: कब है होली? जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Holi 2022: कब है होली? जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

होली के ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक आरंभ होते हैं।इस बार फाल्गुन महीने में होलाष्टक 10 मार्च से शुरू होकर 17 मार्च तक चलेंगे। इसके बाद 18 मार्च को होली मनाई जाएगी।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: March 17, 2022 13:41 IST
Holika Dahan- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/LAWYER_HEENA_RANA Holika Dahan

Highlights

  • होलाष्टक 10 मार्च से शुरू
  • होलिका दहन 17 मार्च को होगी
  • जानिए होली पर्व का शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में होली का अधिक महत्व है। रंगों का यह त्योहार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन और उसके दूसरे दिन होली खेलने का उत्सव मनाया जाता है। 

पंचांग के अनुसार, होली के ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक आरंभ होते हैं। इन आठ दिनों के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। इस बार फाल्गुन महीने में होलाष्टक 10 मार्च से शुरू होकर 17 मार्च तक चलेंगे, जिसके बाद 18 मार्च को होली मनाई जाएगी।  

Falgun Month 2022: 17 फरवरी से शुरू हो रहा फाल्गुन माह, देखें व्रत-त्योहारों की पूरी लिस्ट

धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन स्नान-दान कर उपवास रखने से मनुष्य के दुखों का नाश होता है और उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।  होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई का दिन के रूप में मनाया जाता है। जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। 

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

होलिकी दहन तिथि- 17 मार्च, गुरुवार

होलिका दहन शुभ मुहूर्त- रात 9 बजकर 20 मिनट से देर रात 10 बजकर 31 मिनट तक 

Maha Shivratri 2022: महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को बिल्कुल भी अर्पित न करें ये पांच चीजें

 

होलिका दहन पूजन विधि

होलिका दहन से पहले होली पूजन का विशेष विधान है। इस दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद होलिका पूजन वाले स्थान में जाए और पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठ जाएं। इसके बाद पूजन में गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं। इसके साथ ही रोली, अक्षत, फूल, कच्चा सूत, हल्दी, मूंग, मीठे बताशे, गुलाल, रंग, सात प्रकार के अनाज, गेंहू की बालियां, होली पर बनने वाले पकवान, कच्चा सूत, एक लोटा जल मिष्ठान आदि के साथ होलिका का पूजन किया जाता है। इसके साथ ही भगवान नरसिंह की पूजा भी करनी चाहिए।  होलिका पूजा के बाद होली की परिक्रमा करनी चाहिए और होली में जौ या गेहूं की बाली, चना, मूंग, चावल, नारियल, गन्ना, बताशे आदि चीज़ें डालनी चाहिए।

होली मनाने के पीछे की पौराणिक कथा

होली मनाने के पीछे शास्त्रों में कई पौराणिक कथा दी गई है। लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादा भक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी प्रचलित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है।

कथा के अनुसार, असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। बालक प्रह्लाद को भगवान की भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती।

भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हो गयी, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा के फलस्वरूप खुद होलिका ही आग में जल गई। अग्नि में प्रह्लाद के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ। इस प्रकार होली का यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।

Maha Shivratri 2022: महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को बिल्कुल भी अर्पित न करें ये पांच चीजें

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement