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Holashtak 2022: इस तारीख से लगेंगे होलाष्टक, इन 8 दिनों में भूलकर भी न करें ये शुभ काम

होलाष्टक होली से आठ दिन पहले से शुरू हो जाता है। जानिए होलाष्टक मनाने का कारण और इन शुभ कामों को करने की है मनाही।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : February 24, 2022 17:10 IST
Holashtak 2022
Image Source : INSTAGRAM/CLICKS_OF_NIHAL Holashtak 2022

Highlights

  • होली से ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाते हैं
  • होलाष्टक के दौरान शुभ काम करने की मनाही

फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के साथ ही होलाष्टक की शुरूआत हो जाती है। ज्योतिषचार्यों के अनुसार होलाष्टक शुरू होने के 8 दिन बाद होली का त्योहार मनाया जाता है। इसके साथ ही फाल्गुन मास की पूर्णिमा को रंगों का त्योहार होली मनाई जाती है। माना जाता है कि होलाष्टक शुरू होने के साथ ही मांगलिक कामों का होना बंद हो जाता है। इस साल होलाष्टक 10 मार्च से शुरू हो रहे हैं। जानिए होलाष्टक के दौरान कौन-कौन से काम करने की है मनाही। 

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार, होलाष्टक होली से आठ दिन पहले से शुरू हो जाता है। होलाष्टक 10 मार्च से शुरू होकर होलिका दहन होने के बाद जिस दिन होली खेली जाएगी, उस दिन होलाष्टक समाप्त हो जाएगा। इसलिए इस साल होलाष्टक 18 मार्च को समाप्त होगा।

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 होलाष्टक के दौरान इन कामों की मनाही

होलाष्टक के इन आठ दिनों के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। इस दौरान मुख्य तौर पर विवाह, गृह प्रवेश, सोलह संस्कारों को करने की मनाही होती है। इसके अलावा कोई नया घर, वाहन आदि खरीदना, बिजनेस शुरू करना आदि की मनाही होती है। होलाष्टक के दौरान स्नान-दान, जप, देवी-देविताओं की पूजा करने का विधान है।

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होलाष्टक मनाने का कारण

होलाष्टक को लेकर 2 पौराणिक कथाएं प्रचलित है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, होली से 8 दिन पूर्व अर्थात फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से प्रकृति में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है और इसीलिए इन आठ दिनों में कोई भी शुभ काम करने की मनाही है।

होलाष्टक यानी फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को दैत्य राज हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को बंदी बनाकर यातनाएं देना शुरू किया था। इसके साथ ही उन्हें पूरे 8 दिनों तक यातनाएं दी थी। इसके बाद आठवें दिन बहन होलिका (जिसे आग में न जलने का वरदान था) के गोदी में प्रहलाद को बैठा कर जलाने की कोशिश की थी। लेकिन फिर भी प्रहलाद बच गए और होलिका खुद ही भस्म हो गई थी। इसलिए इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है और कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। होलाष्टक के दौरान सोलह संस्कार सहित सभी शुभ कार्यों को रोक दिया जाता है। इतना ही नहीं, नई नवेली दुल्हन को ससुराल की पहली होली देखने की भी मनाही होती है। इसलिए उन्हें दूसरे के घर या फिर अपने मायके चली जाती है।

दूसरी पौराणिक कथा है कि इस दिन महादेव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। जिससे प्रकृति में शोक की लहर फैल गई थी। इसके साथ ही शुभ काम होना बंद हो गए थे। लेकिन होली के दिन भगवान शिव से कामदेव ने वापस जीवित होने का का वरदान मांगा था जिसे शिव ने स्वीकार कर कामदेव को जीवित कर दिया था। इसके बाद प्रकृति फिर से आनंदित हो गई और दोनों लोकों में फिर से प्रेम जागृत हो गया था। 

 

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