Highlights
- होली से कुछ दिन पहले कुछ शुभ कार्य नहीं करना चाहिए जैसे गृह प्रवेश, शादी, मंडन संस्कार आदि
- होलाष्टक दो शब्दों से मिलकर बना है। होली और अष्टक यानी 8 दिनों का पर्व
- होली के 8 दिन पूर्व फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होलाष्टक लग जाता है जो पूर्णिमा तक जारी रहता है
वैसे तो होली का त्यौहार हर्षोल्लास का त्यौहार माना जाता है, लेकिन अक्सर आपने सुना होगा कि होली से कुछ दिन पहले कुछ शुभ कार्य नहीं करना चाहिए जैसे गृह प्रवेश, शादी, मंडन संस्कार आदि। होलाष्टक दो शब्दों से मिलकर बना है। होली और अष्टक यानी 8 दिनों का पर्व। होली के 8 दिन पूर्व फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होलाष्टक लग जाता है जो पूर्णिमा तक जारी रहता है। ऐसे में इन 8 दिनों में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। इसलिए होलाष्टक शुरू होने पर सभी तरह के शुभ कामों नहीं करना चाहिए।
इन आठ दिनों में अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादश को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु ग्रह उग्र रहते हैं। इस कारण इन आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है। होलाष्टक में व्यापार, वाहन की बिक्री, गृह प्रवेश, नींव पूजन विवाह आदि शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।
पौराणिक कारण-
एक मान्यता के अनुसार कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी और इससे रुष्ट होकर उन्होंने प्रेम के देवता कामदेव को फाल्गुन की अष्टमी तिथि के दिन ही भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने शिव की आराधना की और कामदेव को पुनर्जीवित करने की याचना की, जिसे शिवजी ने स्वीकार कर लिया। महादेव के इस निर्णय के बाद जन साधारण ने हर्षोल्लास मनाया और होलाष्टक का अंत दुलहंडी यानी रंगों की होली के त्योहार के दिन हो गया। इसी परंपरा के कारण यह आठ दिन शुभ कार्यों के लिए वर्जित माने गए हैं। इसीलिए गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि होली के पहले के आठ दिनों यानी अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक विष्णु भक्त प्रहलाद को काफी यातनाएं दी गई थीं। प्रहलाद को फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को ही हिरण्यकश्यप ने बंदी बना लिया था। प्रहलाद को जान से मारने के लिए तरह-तरह की यातनाएं दी गईं, लेकिन प्रह्लाद विष्णु भक्ति के कारण भयभीत नहीं हुए और विष्णु कृपा से हर बार बच गए। अपने भाई हिरण्यकश्यप की परेशानी देख उसकी बहन होलिका आईं, होलिका को ब्रह्मा ने अग्नि से ना जलने का वरदान दिया था, लेकिन जब होलिका ने प्रह्लाद को लेकर अग्नि में प्रवेश किया तो वो खुद जल गई और प्रह्लाद बच गए। भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर नृसिंह भगवान प्रकट हुए और प्रह्लाद की रक्षा कर हिरण्यकश्यप का वध किया, तभी से भक्त पर आए इस संकट के कारण इन आठ दिनों को होलाष्टक के रूप में मनाया जाता है।
वैज्ञानिक कारण-
वहीं इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है दरअसल फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से नेचर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो जाता है। इसीलिए अक्सर लोग होली के समय गृह प्रवेश करने से कतराते हैं।