सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी की आज जयंती मनाई जा रही है। वह एक आध्यात्मिक गुरु, कवि, दार्शनिक और एक योद्धा थे। उनके पिता, गुरु तेग बहादुर को औरंगजेब द्वारा मार दिए जाने के बाद, नौ साल की उम्र में उन्हें औपचारिक रूप से सिखों के नेता के रूप में स्थापित किया गया था। इस साल सिख गुरु की 355वीं जयंती है। गुरु साहब का जन्म जयंती भव्य समारोहों के साथ मनाया जाता है और लोग अपने गुरु के लिए विशेष प्रार्थना करने के लिए गुरुद्वारा जाते हैं। कुछ लोग इस दिन को मनाने के लिए सेवा और प्रसाद वितरण में शामिल होते हैं। बाकी परिवार और दोस्तों के गुरु गोबिंद सिंह जी के संदेश साझा करें। आप भी गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती पर अपने दोस्तों और करीबियों को उनके विचारों से रू-ब-रू करा सकते हैं।
- जब आप अपने अन्दर से अहंकार मिटा देंगे, तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी। ये विचार इगो पालकर जीवन बिता रहे हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। अहंकार और अहम को खत्म करने के बाद ही खुशहाल जीवन पाया जा सकता है।
- स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है। गुरु गोबिंद सिंह जी कहते हैं कि स्वार्थ गलत काम की तरफ अग्रसर करता है। इसलिए स्वार्थ का त्याग करना चाहिए। निस्वार्थ भाव से किए गए काम को ही ईश्वर की मदद और सराहना मिलती है। स्वार्थ भाव से किए गए कर्म हमेशा नुकसान करते हैं।
- अगर आप केवल भविष्य के बारे में सोचते रहेंगे, तो वर्तमान भी खो देंगे। ये विचार इस समय हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है जो बड़े बड़े सपने ही देखते हैं, कुछ करने से डरते हैं। वर्तमान में मेहनत करने से ही भविष्य उन्नत होता है और यही विचार गुरु गोबिंद सिंह जी का है।
- जरूरतमंद लोगों की हर संभव मदद करनी चाहिए। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में एक दूसरे की मदद करने से ही सच्चा सुख मिलता है। नए जमाने में जब हर कोई बिजी है, जरूरत पड़ने पर मदद का हाथ बढ़ाना कर्तव्य हो जाता है। खासकर जरूरतमंदों की मदद करने पर ईश्वर भी खुश होता है।
- अच्छे कर्मों से ही आप ईश्वर को पा सकते हैं। अच्छे कर्म करने वालों की ही ईश्वर मदद करता है। गुरु गोबिंद सिंह इस विचार के जरिए कहना चाहते हैं कि केवल पूजा पाठ से ईश्वर नहीं मिलते। अच्छे कर्म जरूरी है और अगर व्यक्ति अच्छे कर्म कर रहा है तो ईश्वर भी उसका साथ देता है।