Highlights
- कर्म के अनुसार अगले जीवन में फल निर्धारित किया जा सके।
- कर्मों के आधार पर ही किसी व्यक्ति अपने अगले जनम में किस रूप में जन्म लेता है।
सनातन धर्म मौत के बाद नए जीवन की परिकल्पना पर आधारित है। हिंदू धर्म में निधन के बाद गरुड़ पुराण की व्याख्या की जाती है ताकि कर्म के अनुसार अगले जीवन में फल निर्धारित किया जा सके। गरुड़ पुराण में विस्तार से बताया गया है कि कर्मों के आधार पर ही किसी व्यक्ति अपने अगले जनम में किस रूप में जन्म लेता है। गरुड़ पुराण कहता है कि अच्छे कर्म औऱ बुरे कर्म के आधार पर दूसरे कर्म का जन्म तय होता है।
ऐसे ही गरुड़ पुराण में बताया गया है कि किसी के घर बिना बुलाए पहुंच जाना, बिना बुलाए शादी ब्याह या अन्य भोज में पहुंच कर भोजन करने वाला व्यक्ति अगले जन्म में क्या बनता है।
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गरुड़ पुराण कहता है कि बिना निमंत्रण या बुलावे के किसी के घर पहुंच जाना, किसी शादी पार्टी में पहुंच कर भोजन करने वाला व्यक्ति अगले जन्म में कौआ बनता है। आपने भी दादी नानी को कहते सुना होगा कि मुंडेर पर कौआ कांउ कांउ कर रहा है जरूर कोई मेहमान आने वाला है।
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दरअसल बिना बुलाए आने वाले मेहमान को अगले जन्म में कौआ बनकर ये सजा भुगतनी पड़ती है कि वो घर के मालिक को बताए कि कोई आने वाला है ताकि घर का मालिक यथासंभव उसके आगमन की तैयारी कर सके।
डिस्क्लेमर- ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।