Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को अर्थशास्त्र, राजनीति और कूटनीति के ज्ञाता कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में कई ऐसी बातें बताई हैं जिन्हें यदि जीवन में उतार लिया जाए तो आप कभी धोखा नहीं खा सकते हैं और न ही आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। चाणक्य ने अपनी नीति में मानव समाज के लगभग हर पहलू के बारे में बताया है। उन्होंने अपने नीतिशास्त्र में यह भी बताया है कि घर को स्वर्ग कैसे बनाया जा सकता है और कौन से घर श्मशान के समान होते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य के इन विचारों के बारे में।
श्लोक (बारहवां अध्याय)
न विप्रपादोदककर्दमानि, न वेदशास्त्रध्वनिगर्जितानि।
स्वाहा-स्नधास्वस्ति-विवर्जितानि, श्मशानतुल्यानि गृहाणि तानि।।
चाणक्य नीति के इस बारहवां अध्याय श्लोक के अनुसार, वह घर जहां ब्राह्मणों के चरण कमल को धोया नहीं जाता, जहा वैदिक मंत्रो का जोर से उच्चारण नहीं होता और जहां भगवान को और पितरो को भोग नहीं लगाया जाता वह घर एक श्मशान है।
दरअसल, चाणक्य नीति इस श्लोक के जरिए कहते हैं कि जिन घरों में ब्राह्मणों का आदर-सम्मान नहीं होता, जहां वेद पुराणों की ध्वनि नहीं गूंजती, जिस घर में अग्निहोत्र अर्थात हवन आदि शुभकर्म नहीं होते, वैसे घरों में नकारात्मक शक्तियों का वास होता है। उनका जीवन हमेशा दुख और तकलीफों से घिरा रहता है। ऐसे घरों को श्मशान के समान समझना चाहिए।
वहीं जिस घर में नियमित तौर पर यज्ञ, कर्म हवन आदि किया जाता है और ब्राम्हणों का आदर सत्कार किया जाता है, वहां पर सकारात्मक शक्तियों का संचार होता है। ऐसे घर को स्वर्ग माना जाता है और यहां देवी-देवाताओं का भी वास होता है।
डिस्क्लेमर - ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।
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