हमें इस बात की हमेशा सीख दी जाती है हमें कि मुश्किल वक्त के लिए बचत करना चाहिए। पैसों का संग्रह करके उन्हें उचित मौके पर उपयोग करने की सलाह दी गई है। आचार्य चाणक्य ने अपनी पुस्तक अर्थशास्त्र में इस बाद का ज्ञान दिया है कि अपनी समृद्धि के लिए पैसों के बचत के साथ-साथ उन्हें कुछ जगहों पर खर्च भी करना चाहिए। ऐसा करने से तरक्की होती है।
कब और कहां करें धन को खुले हाथों से खर्च
- धर्म स्थल पर: आचार्य चाणक्य बताते हैं कि धर्म स्थल पर धन का दान करने से सकारात्मकता के साथ ईश्वर की कृपा बनी रहती है।
- जरूरतमंदों को दान: धन संचय करने से ज्यादा खुशी का अनुभव तब होता है जब आप किसी जरूरतमंद की मदद करते हैं। आचार्य चाणक्य के मुताबिक शिक्षा पर खर्च किया धन हमेशा आय का हिस्सा ही माना जाता है।
- सामाजिक कार्यों में: चाणक्य के अनुसार व्यक्ति जो भी धन अर्जित करता है यह समाज के कारण ही संभव हो पाता है। इसके लिए मनुष्यों का नैतिक कर्तव्य है कि वह अपने धन अर्जन का कुछ हिस्सा समाज के हित में भी लगाए।