Highlights
- आचार्य चाणक्य के अनुसार हमेशा दुष्ट व्यक्ति से दूर रहना चाहिए
- यदि किसी स्थान पर दंगा या उपद्रव हो जाता है, तो उस स्थान से तुरंत भाग जाना चाहिए
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों को बहुत ही सोच-समझ कर लिखा है। आचार्य चाणक्य की नीतियां भले ही कई लोगों को सही न लगे लेकिन उनके द्वारा बताई गई कई बातें जीवन में किसी न किसी तरीके से सच्चाई जरूरी दिखाती हैं।
उनकी हर एक नीति इंसान को सफलता प्राप्त करने के साथ सही रास्ते में चलने के लिए प्रेरित करती हैं। आम तौर पर कहा जाता है कि परिस्थितियां कैसी भी हों हमेशा डटकर सामना करना चाहिए, लेकिन आचार्य चाणक्य के अनुसार जीवन में कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं, जिनसे बचना ही बेहतर होता है। आइए जानते हैं उन परिस्थितियों के बारे में-
दुष्ट व्यक्ति का साथ-
आचार्य चाणक्य के अनुसार हमेशा दुष्ट व्यक्ति से दूर रहना चाहिए। जिस स्थान पर दुष्ट व्यक्ति हो रहता हो, उसे तुरंत त्याग देना चाहिए। दुष्ट व्यक्ति अपने हित के लिए दूसरे का अहित करने में भी पीछे नहीं हटता है इसलिए ऐसे इंसान से दूर हो जाना ही बेहतर होता है। ऐसे व्यक्ति की संगत किसी भी पल परेशानियों को बढ़ा सकती है।
दंगे या मारपीट से रहें दूर-
यदि किसी स्थान पर दंगा या उपद्रव हो जाता है, तो उस स्थान से तुरंत भाग जाना चाहिए। यदि हम दंगा क्षेत्र में खड़े रहेंगे तो उपद्रवियों की हिंसा का शिकार हो सकते हैं। साथ ही किसी भी कार्यवाही अंर्तगत फंस सकते हैं। ऐसे स्थान से तुरंत भाग निकलना चाहिए।
अकाल की स्थिति-
आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस जगह अकाल की स्थिति पैदा हो जाए वहां रुकना ठीक नहीं होता है। ऐसे स्थान पर रहने से आपके प्राणों पर संकट हो सकता है। खान-पीने की चीजों के बिना अधिक दिन जीवित रह पाना असंभव है इसीलिए वहां रुकने के बजाय वहां से पलायन करना ही उचित होता है।
शत्रु द्वारा अचानक किए गए हमले से बचें-
आचार्य चाणक्य का कहना है कि यदि शत्रु द्वारा अचानक हमला किया जाए तो वहां से निकलना ही बेहतर होता है। दुश्मन का सामना सही तरीके से और सही रणनीति के साथ करना चाहिए तभी आप अपने शत्रु पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे में हमें सबसे पहले अपने प्राणों की रक्षा करनी चाहिए। प्राण रहेंगे तो शत्रुओं से बाद में भी निपटा जा सकता है।