Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की गिनती महान अर्थशास्त्री और श्रेष्ठ विद्वान को रूप में की जाती है। आचार्य चाणक्य को कौटिल्य भी कहा जाता है। इसके साथ ही उन्हें राजनीति और कूटनीति में भी महारत हासिल थी। भले ही आपको इनकी नीतियां और विचार थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। भागदौड़ भरी जिंदगी में आप इन विचारों को नजरअंदाज ही क्यों न कर दें, लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार में चाणक्य जी ने बताया है कि किस तरह के लोग हर किसी के चहेते होते हैं। आइए जानते हैं
श्लोक
तावन्मौनेन नीयन्ते कोकिलश्चैव वासराः।
यावत्सर्वं जनानन्ददायिनी वाङ्न प्रवर्तते॥
आचार्य चाणक्य के इस कथन के अनुसार, कोयल तब तक मौन रहकर दिनों को बिताती है, जब तक कि उसकी मधुर वाणी नहीं फूट पड़ती। यह वाणी सभी को आनन्द देती है। अतः जब भी बोले, मधुर बोलो। कड़वा बोलने से चुप रहना ही बेहतर है।
दरअसल, अपने इस श्लोक के जरिए आचार्य चाणक्य ने लोगों को बताने की कोशिश की हैं कि आपके द्वारा बोले गए शब्द ही आपके लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। चाणक्य जी कहते हैं कि इंसान को हमेशा मधुर बोली बोलनी चाहिए, क्योंकि कड़वी बोली से हर किसी के मन में आपके प्रति घृणा आ सकती हैं। ऐसे ही एक कोयल तब तक मौन रहकर दिनों को बिताती है, जब तक कि उसकी मधुर वाणी नहीं फूट पड़ती। इसी बोली को बाद में लोग सुनकर आनंदित होते हैं। उसी तरह व्यक्ति को सही समय पर उचित बात बोलनी चाहिए। इससे आप लोगों के बीच हमेशा चेहते बनें रहेंगे और हर कोई आपका दोस्त बनना चाहेगा।
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