आचार्य चाणक्य की नीतियां पहले की भांति आज भी महत्व रखती हैं। आचार्य चाणक्य एक महान अर्थशास्त्री, राजनीतिकार और शिक्षाविद् थे। कहा जाता है कि जो व्यक्ति आचार्य चाणक्य की नीतियों का अनुसरण करता है, उसे जीवन में हार का सामना कम करना पड़ता है। जानिए आचार्य चाणक्य ने जीवन का खतरा किन लोगों से सबसे अधिक हैं।
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श्लोक
दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः।
ससर्पे गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः॥
भावार्थ :
दुष्ट पत्नी, शठ मित्र , उत्तर देने वाला सेवक तथा सांप वाले घर में रहना- ये मृत्यु के कारण हैं इसमें सन्देह नहीं करनी चाहिए।
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शठ मित्र
आचार्य चाणक्य के अनुसार, सच्चा मित्र जीवन का एक पहिए के समान होता है लेकिन अगर वह दुष्ट प्रवृत्ति का निकल जाए तो पूरे जीवन आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि ऐसे दोस्त अपना काम निकालने के लिए आपका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।
उत्तर देने वाला सेवक
भागदौड़ भरी लाइफ में लोग अपनी जरूरत के अनुसार नौकर रखते हैं जो आपके घर का हर काम को बड़ी ही कुशलता के साथ करता है। लेकिन इसके साथ ही वह आपकी हर एक गुप्त बात को भी जानता है। ऐसे में अगर सेवक हर बात का उत्तर देने वाला हो तो उससे आपको सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि कई बार उससे वाद-विवाद करने पर आपकी बातें किसी और को भी बोल सकता है जो आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
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सांप वाले घर में रहना
जिस घर में सांप रहता है उस घर पर रहने वाले लोगों की जिंदगी हमेशा खतरे में रहती है। इसलिए कहा गया हैं कि जिस जगह सांप रहना हैं उस जगह को छोड़ देना चाहिए या फिर उसे हटाने का प्रबंध करना चाहिए। सर्पयुक्त घर पर निवास करना मृत्यु को आमंत्रण देना है।