Highlights
- आचार्य चाणक्य ने ज्ञान को कहा है गुप्त धन
- विद्या एक ऐसी चीज है जिसे जितना बांटा जाए वो उतना ही बढ़ती है
आचार्य चाणक्य की नीतियां भले ही कई लोगों को सही न लगे लेकिन उनके द्वारा बताई गई कई बातें जीवन में किसी न किसी तरीके से सच्चाई जरूरी दिखाती हैं। भागदौड़ भरी जिदंगी में उनके कई विचार हम जरूर अनदेखा कर दें लेकिन अगर उन्हें ध्यान रखें जाए तो जरूर आपको हर कसौटी में खरे उतारेंगे।
आचार्य चाणक्य मौर्य साम्राज्य के संस्थापक के साथ-साथ चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी जानें जाते है। आचार्य चाणक्य ने हमारे जीवन संबंधी कई नीतियां बताई है। उन्होंने यह गहर चिंतन, जीवन का अनुभव, गहन अध्ययन से जो ज्ञान अर्जित किया। उन्होंने उसे अपनी नीतियों के तौर पर उतार दिया। ऐसे ही आचार्य चाणक्य ने ज्ञान को लेकर एक नीति बताई है, जिसमें उन्होंने बताया है कि विद्या एक ऐसी चीज हैं जो बांटने से कभी भी कम नहीं होती हैं।
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श्लोक
कामधेनुगुना विद्या ह्यकाले फलदायिनी।
प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तं धनं स्मृतम्॥
अर्थ
विद्या अर्जित करना एक कामधेनु के समान है जो हमेशा फल देती रहती है। यह एक मां जैसी होती है जो हर मोड़ पर आपकी रक्षा करती है। इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है।
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आचार्य चाणक्य ने अपने इस श्लोक में बताया है कि ज्ञान यानी विद्या एक ऐसी चीज हैं जो कभी भी खत्म नहीं होती हैं इसे आप चाहे जितना भी खर्च करें। जिस तरह से कामधेनु गाय कभी भी फल देना बंद नहीं करती हैं। उसी तरह ही विद्या भी होती हैं, जिसे जितना ज्यादा आप खर्च करेंगे वो उतना ही ज्यादा बढ़ेगी। जिस मां जिस तरह से अपने बच्चे की हर मोड़ पर रक्षा करती हैं। उसी तरह अगर आपके पास ज्ञान का भंडार होगा तो आप हर परेशानी को आसानी से पार करके अपनी और अपने परिवार की रक्षा कर सकते हैं। इसलिए इसे गुप्त धन भी कहा जाता है।