आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरिए जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान बताया है। चाणक्य ने मनुष्य को प्रभावित करने वाले सभी विषयों को बहुत ही गहराई से अध्ययन किया था। आचार्य चाणक्य की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्व विख्यात है, जो हर एक को प्रेरणा देने वाली है। ये भले ही कठिन हो लेकिन इन्हें अपनाकर आप सफलता पा सकते हैं और सही रास्ते पर चल सकते हैं। आचार्य चाणक्य ने प्रेम संबंधों के बारे में भी अपने विचार व्यक्त किए हैं। चाणक्य की मानें तो व्यक्ति के प्रेम संबंधों में कुछ कारणों की वजह से खटास आ जाती है और इसके चतले इंसान की सुख-शांति छिन जाती है। आइए जानते हैं उन बातों के बारे में जिनका ध्यान रख प्रेम संबंधों में तनाव को दूर किया जा सकता है-
सम्मान- हर कोई इंसान सम्मान चाहता है। जब इंसान के सम्मान को ठेस पहुंचती है तो वो अंदर से टूट जाता है और खुद को कमजोर समझने लगता है। जब आदर सम्मान में कमी आती है तो रिश्ता कमजोर पड़ जाता है। इसीलिए रिश्ते में एक दूसरे को सम्मान देना चाहिए।
अहंकार- चाणक्य कहते हैं कि प्रेम संबंधों के बीच अहंकार की जगह नहीं होनी चाहिए। चाणक्य प्रेम को सादगी का ही रूप मानते हैं। प्रेम संबंधों के बीच यदि अहंकार आ जाता है तो आप साथी की अहमियत कम आंकने लगते हैं दूसरा साथी खुद को कमजोर समझने लगता है, जिससे रिश्ते में दूरी आ जाती है इसीलिए रिश्ते में कभी अहंकार नहीं करना चाहिए।
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एक दूसरे को दें आजादी- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि रिश्तों में आजादी का होना बहुत जरूरी है। कहते हैं अगर किसी रिश्ते को ज्यादा बंधन में रखा जाए तो इंसान घुटन महसूस करने लगता है, जिन रिश्तों में आजादी नहीं होती है, वो कुछ समय बाद ही ऊबने लगते हैं और कैद महसूस करते हैं जिसके चलते कुछ समय बाद रिश्ता खत्म हो जाता है।
शक- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शक रिश्ते की नींव को हिला देता है। शक रिश्ते को का जाता है इसीलिए रिश्ते में कभी भी शक नहीं करना चाहिए। शक की हल्की सी आंच मजबूत रिश्ते को तोड़ देती है।