Highlights
- आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति को कभी भी आलस नहीं करना चाहिए।
- यदि आप ऐसा करते हैं तो इससे आप अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाएंगे।
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में जीवन के हर पहलू के बारे में विस्तार से बताया है। उन्होंने अपने नीति में ऐसी कई बातें बताई हैं, जिन्हें अपनाने पर आप किसी भी समस्या से बाहर आ सकते हैं। भले ही आपको आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। भागदौड़ भरी जिंदगी में आप इन विचारों को नजरअंदाज ही क्यों न कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे।
आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में आचार्य चाणक्य ने सफल व्यक्ति बनने के लिए कुछ बातें बताई हैं। आइए जानते हैं।
श्लोक
आलस्योपहता विद्या परहस्तं गतं धनम्।
अल्पबीजहतं क्षेत्रं हतं सैन्यमनायकम्॥
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भावार्थ :
आलस्य से विद्या नष्ट हो जाती है। दूसरे के हाथ में धन जाने से धन नष्ट हो जाता है। कम बीज से खेत तथा बिना सेनापति वाली सेना नष्ट हो जाती है।
- आचार्य चाणक्य के इस कथन के अनुसार, व्यक्ति को कभी भी आलस नहीं करना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो इससे आप अपने लक्ष्य को कभी भी प्राप्त नहीं कर पाएंगे। इतना ही नहीं आलस करने से व्यक्ति कभी सफल नहीं हो पाता है। साथ ही आलस दिखाने वाले का स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। इसलिए आचार्य चाणक्य कहते है कि आपको आलस्य करने से बचना चाहिए।
- आचार्य चाणक्य का कहना है कि हमारे जीवन में धन ही सबकुछ नहीं होता है लेकिन इसकी मदद से आप अधिकतर चीजों को आसानी से पा सकते हैं। यदि आपके पास पर्याप्त धन हैं तो समाज से मान सम्मान मिलने के साथ आप एक खुशहाल भरी जिंदगी भी जी सकते हैं। लेकिन जब आप अपने धन को किसी दूसरे व्यक्ति को दे देते हैं तो इससे आपका जीना दूभर हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह व्यक्ति अपने मन मुताबिक उस धन को खर्च करेगा, जिसके कारण आपका धन धीरे-धीरे नष्ट हो जाएगा।
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चाणक्य नीति कहती है कि अगर किसी खेत में कम बीजों को डाला जाए और फिर ऐसे में उम्मीद किया जाए की आने वाली फसल से ज्यादा मिले तो ऐसा बिल्कुल संभव नहीं है, आपके द्वारा बोए गए बीज के मुताबिक ही आपको फल मिलेगा। इसलिए चाणक्य जी कहते हैं कि व्यक्ति को हमेशा जवन में ज्यादा से मेहनत करना चाहिए, जिससे आने वाले समय में आपको सफलता भी बड़ी हासिल हो।
- आचार्य चाणक्य के अनुसार, अगर किसी सेना में सेनापति (मुखिया) ही न हो तो वह सेना भी जल्द बरबाद हो जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि उस सेना को राह दिखाने वाला कोई व्यक्ति ही नहीं है। ठीक इसी तरह यदि किसी परिवार में मुखिया नहीं होगा तो दिन-प्रतिदिन लोगों को मन में कड़ावहट आने के साथ असफलता का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि परिवार के सदस्यों को सही रास्ते में चलाने का काम सिर्फ एक मुखिया ही कर सकता है।
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