Highlights
- चाणक्य जी का कहना है कि भगवान के प्रति हर मनुष्य के भाव अलग-अलग होते हैं।
- ऐसे में दूसरे के लिखे स्तुति से आपके भाव उनके तक नहीं पहुंचते।
Chanakya Neeti: भले ही आपको आचार्य चाणक्य की नीतियां कठोर लगे लेकिन उनके द्वारा बताई गई बातें जीवन में किसी न किसी तरीके से सच्चाई जरूर दिखाती है। उनके विचारों को आप नजरअंदाज ही क्यों न कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे।आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार धन लाभ पर आधारित है।
हाथ से गूंथी हुई माला भगवान को करें अर्पित
चाणक्य नीति के अनुसार, अगर आप भगवान को खुश करना चाहते हैं तो इसके लिए कुछ उपाय करना भी जरूरी है। चाणक्य जी कहते हैं कि बाजार से खरीदी हुई माला ईश्वर को चढ़ाने से लाभ नहीं मिलता बल्कि खुद ही अपने हाथों से ईश्वर के लिए माला गूंथना चाहिए। ये काफी फलदायी माना जाता है और ऐसा करने से घर में सुख शांति और धन संपन्नता आती है।
अपने हाथ से घिसे चंदन
चाणक्य नीति के अनुसार, भगवान को चढ़ाने के लिए दूसरों का घिसा हुआ चंदन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे लाभ नहीं मिलता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप खुद ही अपने हाथों से चंदन घिस कर भगवान को अर्पित करें।
खुद ही लिखे स्तुति
चाणक्य जी का कहना है कि भगवान के प्रति हर मनुष्य के भाव अलग-अलग होते हैं। दूसरे के लिखे स्तुति से आपके भाव उनके तक सही तरीके से नहीं पहुंचते। ऐसे में आराध्य के प्रति अपने भावों को प्रकट करने के लिए खुद ही भगवान की स्तुति लिखें और ईश्वर के सामने पढ़ें। ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं।
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