Highlights
- नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा देवी की पूजा करने से सारे दुख दूर होते हैं।
- मां कूष्मांडा देवी को भोग में मालपुआ चढ़ाया जाता है।
आज चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि और मंगलवार का दिन है। चतुर्थी तिथि आज दोपहर 3 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। उसके बाद पंचमी तिथि लग जाएगी जायेगी। आज नवरात्र का चौथा दिन है। आज देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्माण्डा की उपासना की जायेगी। कूष्मांडा, यानि कुम्हड़ा। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है कुम्हड़ा, यानि कि- कद्दू, यानि कि- पेठा, जिसका हम घर में सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते हैं। मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत ही प्रिय है, इसलिए मां दुर्गा का नाम कूष्मांडा पड़ा।
इसके साथ ही देवी मां की आठ भुजायें होने के कारण इन्हें अष्टभुजा वाली भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा नजर आता है, जबकि आठवें हाथ में जप की माला रहती है। माता का वाहन सिंह है और इनका निवास स्थान सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है। कहते हैं कि- सूर्यदेव के ऊपर मां कूष्मांडा का आधिपत्य रहता है और सूर्यदेव को दिशा और ऊर्जा देवी मां ही प्रदान करती हैं। अगर आपकी जन्मपत्रिका में सूर्यदेव संबंधी कोई परेशानी हो, तो आज मां कूष्मांडा की उपासना करना आपके लिये बड़ा ही फलदायी होगा।
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कैसे करें मां कूष्मांडा देवी की पूजा
आज आपको देवी मां के इस मंत्र का 21 बार जप करना चाहिए। मंत्र प्रकार है-
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्त पद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
आज मां कूष्मांडा के इस मंत्र का जप करने से आपको सूर्य संबंधी लाभ तो मिलेंगे ही, साथ ही आपके परिवार में खुशहाली आयेगी और आपके यश तथा बल में बढ़ोत्तरी होगी। इसके अलावा आपकी आयु में वृद्धि होगी और आपका स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहेगा।
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मां कूष्मांडा को लगाएं ये भोग
माता को इस दिन मालपुआ का प्रसाद चढ़ाने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही आज के दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन व वस्त्र भेट करने से धन की वृद्धि होती है।
ऐसे करें मां कूष्मांडा की पूजा
दुर्गा पूजा के चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करना चाहिए। फिर मन को अनहत चक्र में स्थापित करने हेतु मां का आशीर्वाद लेना चाहिए। सबसे पहले सभी कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करें फिर मां कूष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लेकर मां को प्रणाम कर इस मंत्र का ध्यान करें।
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।
मां की पूजा के बाद महादेव और परमपिता ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद मां लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा करें।
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माता कूष्मांडा हरेंगी सारी समस्याएं
तो ये थी चर्चा आज नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा की और अब बात करते है आज माता उन मन्त्रों का जिसका जप करके जीवन में चल रही विभिन्न समस्यायों से छुटकारा पा सकते है। अपने जीवन में चल रही परेशानियों से जल्द छुटकारा पाने के लिए देवी मां के इस मंत्र का 108 बार जप करें। मंत्र है-
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
अपनी बौद्धिक क्षमता में बढ़ोतरी के लिये और परीक्षा में अच्छे रिजल्ट के लिये देवी मां के विद्या प्राप्ति मंत्र का 5 बार जप करना चाहिए । मंत्र है-
‘या देवी सर्वभूतेषु बिद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिये आज देवी मां को मालपुओं का भोग लगाए और उनके इस मंत्र का 11 बार जप करें। मंत्र है-
जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
अपने घर की सुख-शांति और समृद्धि बढ़ाने के लिये आज देवी के शांति मंत्र का 21 बार जाप करें। मंत्र है-
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
साथ ही आज गुलाब के फूल में कपूर रखकर माता कुष्मांडा के सामने रखे। फिर माता लक्ष्मी के मन्त्र का 6 माला जप करें। मंत्र है-
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
शाम के समय फूल में से कपूर लेकर जला दें, और फूल देवी को चढ़ा दें।
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आज नवरात्र चतुर्थी की शाम में बेल के पेड़ की जड़ पर मिट्टी, इत्र, पत्थर और दही चढाएं और अगले दिन सुबह फिर से मिट्टी, इत्र, पत्थर और दही चढा कर, बेल के पेड़ के उत्तर पूर्व दिशा की एक छोटी टहनी तोड़कर घर ले आएं इस टहनी पर रोज 108 बार लक्ष्मी मन्त्र पढ़िये और टहनी को नवमी के दिन तिजोरी में रखें। मंत्र है-
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)