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Chaitra Navratri 2022: कब से शुरू हो रही है चैत्र नवरात्रि, जानिए कैसे करें कलश स्थापना?

इस बार चैत्र नवरात्रि का त्योहार 2 अप्रैल 2022 से शुरू हो रहा है और 11 अप्रैल को 2022 तक रहेगा।

Written by: India TV Entertainment Desk
Updated on: March 30, 2022 11:34 IST
Chaitra Navratri 2022- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK Chaitra Navratri 2022

Highlights

  • चैत्र नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना का खास महत्व है।
  • चैत्र नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है।

पावन चैत्र नवरात्रि का त्योहार आने वाला है। माता दुर्गा की उपासना के लिए खास महत्व रखने वाले चैत्र नवरात्रि की शुरुआत चैत्र मास शुक्ल प्रतिपदा के दिन के हो जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि का त्योहार 2 अप्रैल 2022 से शुरू हो रहा है और 11 अप्रैल को 2022 तक रहेगा। इस दिन माता के कलश स्थापना या घट स्थापना का खास महत्व है। माता के उपासक पूरे नौ दिन तक अलग अलग रूप में माता की पूजा करते हैं। आइए जानते हैं

कैसे करें कलश स्थापना?

चैत्र नवरात्रि में घट स्थापना के दौरान खास ध्यान दिया जाता है। घट स्थापना के दौरान उत्तर-पूर्व कोने में जल छिड़क कर साफ मिट्टी या बालू रखनी चाहिए। उस साफ मिट्टी या बालू पर जौ की परत बिछानी चाहिए। उसके ऊपर पुनः साफ मिट्टी या बालू की साफ परत बिछानी चाहिए और उसका जलावशोषण करना चाहिए। जलावशोषण यानि उसके ऊपर जल छिड़कना चाहिए। फिर उसके ऊपर मिट्टी या धातु के कलश की स्थापना करनी चाहिए और अब कलश को गले तक साफ, शुद्ध जल से भरना चाहिए और उस कलश में एक सिक्का डालना चाहिए। अगर संभव हो तो कलश के जल में पवित्र नदियों का जल जरूर मिलाना चाहिए। इसके बाद कलश के मुख पर अपना दाहिना हाथ रखकर इस मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है -

गंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वती!

नर्मदे! सिंधु! कावेरि! जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु।।

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साथ ही वरुण देवता का भी आह्वान करना चाहिए कि वो उस कलश में अपना स्थान ग्रहण करें। इसके बाद कलश के मुख पर कलावा बांधकर ढक्कन या मिट्टी की कटोरी से कलश को ढक देना चाहिए। अब ऊपर ढकी गई कटोरी में जौ अथवा चावल भर लें। इसके बाद एक जटा वाला नारियल लेकर उसे लाल कपड़े से लपेटकर उसके ऊपर कलावा बांधें, इस प्रकार बंधे हुए नारियल को जौ या चावल से भरी हुई कटोरी के ऊपर स्थापित करें। ध्यान रहे कलश के ऊपर रखी गयी कटोरी में घी का दीपक जलाना उचित नहीं है। कलश का स्थान पूजा के उत्तर-पूर्व कोने में होता है जबकि दीपक का स्थान दक्षिण-पूर्व कोने में होता है।

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ध्यान रहे कि कलश स्थपना कि सारी विधि नवार्ण मंत्र पढ़ते हुए करनी चाहिए। नवार्ण मंत्र है- “ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे”

चैत्र नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बड़ा ही फलदायी बताया गया है। जो व्यक्ति दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है, वह हर प्रकार के भय, बाधा,  चिंता और शत्रु आदि से छुटकारा पाता है। साथ ही उसे हर प्रकार के सुख-साधनों की प्राप्ति होती है। अतः चैत्र नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करना चाहिए।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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