Sunday, December 22, 2024
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Angarki Chaturthi 2021: अंगारकी संकष्टी चतुर्थी आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

अंगारकी वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही इस दिन व्रत करने से मुक्ति भी मिलती है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : December 07, 2021 6:30 IST
Angarki Sankashti Chaturthi shubh muhurat puja vidhi and mantra: अंगारकी संकष्टी चतुर्थी: शुभ मुहूर्
Image Source : INSTAGRAM/GANESHOTSAV__OFFICIAL Angarki Sankashti Chaturthi shubh muhurat puja vidhi and mantra: अंगारकी संकष्टी चतुर्थी: शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Highlights

  • वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी के दिन मंगलवार पड़ने के कारण अंगारकी नाम पड़ा।
  • इस चतुर्थी से व्रत करने से मिलेगा कर्ज से छुटकारा

हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत किया जाता है। मंगलवार को शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इसलिए वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत किया जायेगा। 

वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी के साथ ही मंगलवार का दिन भी है और किसी भी महीने की चतुर्थी तिथि के दिन मंगलवार पड़ने पर वह अंगारकी चतुर्थी हो जाती है जो कर्ज से मुक्ति के लिये बड़ी ही प्रशस्त मानी जाती है।

दरअसल अंगारकी चतुर्थी अंगारक शब्द से बनी है और अंगारक मंगल का ही एक नाम है और मंगल का सीधा संबंध कर्ज से है,  साथ ही व्यक्ति की ऊर्जा और बल से है, लिहाजा अंगारकी वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के साथ ही मंगल ग्रह के उपाय करना भी बड़ा ही लाभकारी है। 

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अंगारकी गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

चतुर्थी तिथि आरंभ-  7 दिसंबर तड़के 2 बजकर 31 मिनट से शुरू

चतुर्थी तिथि समाप्त- 7 दिसंबर रात रात 11 बजकर 40 मिनट तक

अंगारकी गणेश चतुर्थी की पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद गणपति का ध्यान करें। इसके बाद एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं इस कपड़े के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति रखें। अब गंगा जल छिड़कें और पूरे स्थान को पवित्र करें। इसके बाद  गणपति को फूल की मदद से जल अर्पण करें। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाए। इसके बाद लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची और कोई मिठाई रखकर चढ़ा दें। इसके बाद नारियल और भोग में मोदक अर्पित करें। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं।  सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्‍ती से भगवान  गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें। 

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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

या फिर

ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।

अंत में चंद्रमा को दिए हुए मुहूर्त में अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करें 

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