जानिए, नवरात्र में कन्या पूजन है क्यों महत्वपूर्ण?
जीवन मंत्र | 13 Apr 2016, 9:37 AMनवरात्र के सप्तमी तिथि से कन्या पूजन का अधिक महत्व होता है। इस दौरान कन्याओ को ससम्मान घर में बुालकर आवभगत किया जाता है। जानिए इसके पीछे क्या है कारण.....
नवरात्र के सप्तमी तिथि से कन्या पूजन का अधिक महत्व होता है। इस दौरान कन्याओ को ससम्मान घर में बुालकर आवभगत किया जाता है। जानिए इसके पीछे क्या है कारण.....
राजस्थान के ऐतिहासिक नगर बीकानेर से लगभग 30 किलो मीटर दूर देशनोक में स्थित करणी माता का मंदिर जिसे चूहों वाली माता। जानिए इस मंदिर के बारें में खास बातें...
हेनरी फोर्ड अकसर कहा करते थे कि अगर आपको किसी काम में सफलता नहीं मिल रही है, तो इतने निराश न हों कि उस काम को बीच में ही बंद कर दें। ऐसे में तो
धर्म डेस्क :नवरात्र के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इन्होने ब्रह्मांड की रचना की है। जब सृष्टि में
केरल के कोल्लम जिले के पुत्तिंगल मंदिर सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। जानिए इस मंदिर के बारें में और बातें...
ज्वालामुखी मंदिर का यह मंदिर अपने आप पर अनोखा है, क्योंकि हां पर माता की कोई भी मूर्ति नहीं है बल्कि धरती के गर्भ से निकल रही नौ ज्वालाओं की पूजा की जाती है। इन नौ ज्वालाओं जो चांदी के जाला के बीच स्थित है उसे महाकाली कहते हैं...
माना जाता है कि मां के दस हाथ हैं जिनमें इन्होंने शंख, कमल, धनुष-बाण, तलवार, कमंडल, त्रिशूल, गदा आदि शस्त्र धारण किया हुआ है। जानिए पूजा-विधि के बारें में।
अपने घर की पूजा घर में देखा होगा या फिर किसी को पूजा करते समय कि वहं पर जो जल इस्तेमाल किया जाता है वो तांबे के लोटे में ही रखा जाता है। जानिए इसके पीछे का कारण.....
इस मंदिर के कपाट साल में सिर्फ एक बार खोलता है वो भी सिर्फ 5 घंटे के लिए। यह मंदिर 10 अप्रैल को खुलेगा।
नवरात्र में इस प्रकार पूजा करने से देवी प्रसन्न होती हैं और सालभर आपके घर में सुख, समृद्धि, यश आएगा। साथ ही मां आपको सौभाग्य और उन्नति का आशीर्वाद भी देगी। जानिए नवरात्र में किस दिन क्या चीज कन्याओं को भेंट करनी चाहिए।
धर्म पुराणों के अनुसार माना जाता है कि इस जगह भगवान शिव का मां सती के प्रति मोह भंग करने के लिए विष्णु भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे जहां पर यह भाग गिरे वहां पर माता का एक शक्तिपीठ बन गया। इसी कारण यहां पर माता की योनि गिरी...
ब्रह्मचारिणी भक्तों एवं सिद्धों को फल देने वाली माता हैं। देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है।
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