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Yogini Ekadashi: जानें योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा

Yogini Ekadashi: योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ती है। योगिना एकादशी का महत्व पद्मपुराण में विस्तार से बताया गया है। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : June 28, 2019 14:31 IST
Yogini Ekadashi
Yogini Ekadashi

Yogini Ekadashi: योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ती है। योगिना एकादशी का महत्व पद्मपुराण में विस्तार से बताया गया है। इस पुराण के अनुसार इस दिन पूजा-पाठ, व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है। इस बार योगिनी एकादशी 29 जून, शनिवार को पड़ रही है।

योगिना एकादशी को शयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। क्योंकि इस एकादशी के बाद देवशयनी एकादशी पड़ता है। जिसके बाद भगवान विष्णु शयन के लिए चले जाते है। इस बार सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है।

योगिनी एकादशी व्रत करने से पहले रात में ही व्रत एक नियम शुरु हो जाता है। यह व्रत दशमी तिथि की रात से शुरु होता है। जो कि रातभर होते हुए द्वादशी तिथि को सुबह दान कार्य पूजा करके समाप्त होता है।

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योगिनी एकादशी शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ: 28 जून 2019 को सुबह 06 बजकर 36 मिनट से  
एकादशी तिथि समाप्‍त: 29 जून 2019 को सुबह 06 बजकर 45 मिनट तक
पारण का समय: 30 जून 2019 को सुबह 05 बजकर 30 मिनट से सुबह 06 बजकर 11 मिनट तक
पारण के दिन द्वादशी तिथि समाप्त: 30 जून 2019 को सुबह 06 बजकर 11 मिनट

योगिनी एकादशी पूजा विधि
शास्त्रों के अनुसार एकादशी शुरु होने के एक दिन पहले से ही इसके नियमों का पालन करना पड़ता है। इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। फिर स्वच्छ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। घी का दीप अवश्य जलाए। जाने-अनजाने में आपसे जो भी पाप हुए हैं उनसे मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। इस दौरान ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप निरंतर करते रहें। एकादशी की रात्रि प्रभु भक्ति में जागरण करे, उनके भजन गाएं। साथ ही भगवान विष्णु की कथाओं का पाठ करें। द्वादशी के दिन उपयुक्त समय पर कथा सुनने के बाद व्रत खोलें।

योगिनी एकादशी व्रत कथा
पुराणों में एक कथा है। जिसमें हेममाली नाम का एक माली था। जो काम भाव में लीन होकर ऐसी गलती कर बैठा कि उसे राजा कुबेर का श्राप मिला, जिससे उसे कुष्ठ रोग हो गया। तब एक ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा, मुनि के आदेश का पालन करते हुए हेममाली नें योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से वह पूरी तरह से रोगमुक्त हो गया और उसे शाप से मुक्ति मिल गई। तभी से इस एकादशी का इतना महत्व है।

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