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तंत्र के देवता भगवान काल भैरव की ऐसे करें पूजा

नई दिल्ली: मार्गशीर्ष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरवाष्टमी कहते हैं। क्योंकि इस दिन काल भैरव जन्म हुआ था।  हिंदू धर्म के अनुसार माना जाता है कि काल भैरव भगवान शिव

India TV Lifestyle Desk
Updated : December 02, 2015 23:58 IST

india TVमिठाई का प्रसाद भी चढ़ाएं। सरसो के तेल का दीपक लगाएं। काल भैरव का वाहन कुत्ता है। साथ ही काल भैरव के वाहन को मिठाई खिलाएं। साथ ही मदिर में ही कालभैरवाष्टकम् का पाठ करें। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है।

भगवान कालभैरव की पूजा-अर्चना करने से आपके परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की रक्षा होती है। साथ ही नियमित रूप से भैरव तंत्रोक्त, बटुक भैरव कवच, काल भैरव स्तोत्र, बटुक भैरव ब्रह्म कवचका पाठ करने से कई परेशानियों से निजात मिल जाता हैं।

कालभैरवाष्टकम्

देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपंकजं । व्यालयज्ञसूत्रमिंदुशेखरं कृपाकरम् ॥
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबर । काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥1॥
भानुकोटिभास्वरं भावाब्धितारकं परं । नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ॥
कालकालमम्बुजाक्षमक्षशूलमक्षरं । काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥2॥
शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं । श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ॥
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रतांडवप्रियं । काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥3॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तलोकविग्रहं । भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहं ।
विनिक्कणन्मनोज्ञहेमकिंकिणीलसत्कटिं । काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥4॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं । कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुं ॥
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं । काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥5॥
रत्न५पादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं । नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ॥
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं । काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥6॥
अट्टाहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं । दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनं ॥
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं । काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥7॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं । काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुं ॥
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं । काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥8॥
कालभैरवाष्टकं पठन्ति ये मनोहरं । ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनं ॥
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनम् । प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधि ध्रूवम ॥9॥

तंत्र-मंत्र में काल भैरव के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। इनके बिना कोई भी पूजा तंत्र की पूर्ण नही हो सकती है। माना जाता है क इनके 52 स्वरुप है। इनकी पूजा करने से आपके सभी कष्टों का नाश हो जाएगा। इस दिन काल भैरव के साथ माता काली की पूजा का भी विधान है। इश दिन माता काली की पूजा आधी रात को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। इस दिन तांत्रिक लोग सिद्धि के लिए विशेष पूजा करते है।

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