नई दिल्ली: मार्गशीर्ष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरवाष्टमी कहते हैं। क्योंकि इस दिन काल भैरव जन्म हुआ था। हिंदू धर्म के अनुसार माना जाता है कि काल भैरव भगवान शिव के दूसरा रूप है। इसलिए इन्हें शिव का अवतार माना जाता है। इस बार काल भैरवाष्टमी 3 दिसंबर, गुरुवार के दिन है। इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ-साथ घर में सुख-शांति आती है।
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शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि काल भैरव की पूजा करने से घर पर काली शक्तियों का वास नही होता है। जिससे घर में नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रत का भय नही रहता है। इस दिन भगवान काल भैरव की विधि-विधान से पूजा करने पर भक्तों को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। जानिए भगवान कालभैरव की पूजन- विधि के बारें में।
ऐसे करें विधि-विधान से पूजा
काल भैरव की पूजा का सबसे ठीक समय रात 12 बजे से सुबह 3 बजे तक शुभ होता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। अपने सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके व्रत का संकल्प लें। इसके बाद किसी भगवान भैरव के मंदिर जाएं और उनकी और उनके वाहन की विधि-विधान के साथ पूजा करें।
इस पूजा में अबीर, गुलाल, चावल, फूल, सिंदूर आदि चढ़ाकर कालभैरव को चढाएं। भगवान काल भैरव को नीले रंग का फूल चढ़ाने से आपको विशेष लाभ मिलेगा। भगवान को भोग में दही के साथ उड़द के बड़े अर्पित करें।
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