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सावन 2018 का आखिरी सोमवार आज, इस विधि से करें शिवजी को प्रसन्न

श्रावण के सोमवार के व्रत और आज श्रावण का आखिरी सोमवार है। आज के दिन भगवान शिव के निमित्त व्रत किया जाता है और उनकी विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। आज के दिन भगवान शिव की पूजा करके लाभ पाने का विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। जानिए पूजा विधि

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : August 20, 2018 7:35 IST
Lord Shiva
Lord Shiva

धर्म डेस्क: आज श्रावण शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि और सोमवार का दिन है। आज सावन का चौथा और आखिरी सोमवार है। आज के दिन शिव जी की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जायेगी। साथ ही आज पूरा दिन रवि योग रहेगा। इस योग के दौरान किये जाने वाले सारे कार्य सिद्ध होते हैं। अतः रवि योग के दौरान शिव पूजा करने से आपकी पूजा जरूर सफल होगी और आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

उन्हीं कृत्यों में से एक है- श्रावण के सोमवार के व्रत और आज श्रावण का आखिरी सोमवार है। आज के दिन भगवान शिव के निमित्त व्रत किया जाता है और उनकी विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। आज के दिन भगवान शिव की पूजा करके लाभ पाने का विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। जानिए पूजा विधि के बारें में। (Raksha Bandhan 2018: जानिए कब है रक्षाबंधन, इस शुभ मुहूर्त में बांधे राखी )

वीडियो में देखें कौन-कौन सी चीजें भगवान को है अति प्रिय

सावन के सोमवार की पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में  स्नान करके ताजे विल्बपत्र लाएं। पांच या सात साबुत विल्बपत्र साफ पानी से धोएं और फिर उनमें चंदन छिड़कें या चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखें। इसके बाद तांबे के लोटे (पानी का पात्र) में जल या गंगाजल भरें और उसमें कुछ साबुत और साफ चावल डालें। और अंत में लोटे के ऊपर विल्बपत्र और पुष्पादि रखें। विल्बपत्र और जल से भरा लोटा लेकर पास के शिव मंदिर में जाएं और वहां शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। रुद्राभिषेक के दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप या भगवान शिव को कोई अन्य मंत्र का जाप करें। रुद्राभिषेक के बाद समय होता मंदिर परिसर में ही शिवचालीसा, रुद्राष्टक और तांडव स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं। मंदिर में पूजा करने बाद घर में पूजा-पाठ करें।  घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें -

'मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमवार व्रतं करिष्ये'

इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें -
'ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्‌।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्‌॥

ध्यान के पश्चात 'ॐ नमः शिवाय' से शिवजी का तथा ' ॐ शिवाय नमः ' से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें। पूजन के पश्चात व्रत कथा सुनें। उसके बाद आरती कर प्रसाद वितरण करें।

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