धर्म डेस्क: मूंगा रत्न मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है और मंगल एक ऊष्ण ग्रह है। नवरत्नों में से मूंगा रत्न बेहद ही खास है। यह सामान्यतः लाल रंग में पाया जाता है। इसके अलावा सिंदूरी, गुलाबी, सफेद, नीले और काले रंग में भी मूंगा पाया जाता है। अंग्रेज़ी में इसे 'कोरल' कहते हैं। जबकि लता के समान होने के कारण प्राचीनकाल में इसे 'लतामणि' के नाम से भी जाना जाता था। वहीं संस्कृत में इसे 'विद्रुम' कहते हैं। रत्नों का इतिहास धरती के पहाड़ों और चट्टानों के इतिहास से सीधा जुड़ा हुआ है।
लाल मूंगा अधिक मूल्यवान होता है। साथ ही मूंगा रंग भी छोड़ता है। इसकी प्रकृति नाजुक होती है। देखिये इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बाजार में हर चीज़ का एक नकली प्रारूप भी बड़ी आसानी से मिल जाता है। नकली मूंगे में धब्बे, सफेद धारियां, गड्ढे और दोरंगापन जैसे दोष होते हैं। 16वीं शताब्दी में ऐसा विश्वास किया जाता था कि मूंगे की एक टहनी तूफान को शांत कर सकती है। इससे पागलपन का इलाज हो सकता है और यह जादू-टोने आदि से बचाव करता है, साथ ही बच्चों की रक्षा करता है।
किस लग्न वालों को मूंगा धारण करना चाहिए और किस लग्न वालों को नहीं, यानी कि किसके लिये यह फायेदमंद होगा और किसके लिये नुकसानदायक। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से किन लोगों को नहीं पहनना चाहिए।
मेष राशि
मेष लग्न वालों का मंगल लग्न, यानी शरीर और आठवें घर का स्वामी, यानी लग्नेश और अष्टमेश है। लग्नेश को शुभ माना जाता है तथा अष्टमेश को अशुभ माना जाता है। अष्टम स्थान आयु और मृत्यु से संबंध रखता है, अतः मेष राशी वालों को मूंगा सावधानीपूर्वक किसी सुयोग्य ज्योतिषी की देखरेख में ही पहनना चाहिए।
वृष राशि
वृष लग्न वालों के लिये मंगल सातवें और बारहवें घर का स्वामी होता है, यानी सप्तमेश होता है और सप्तमेश मारकेश है। अतः मूंगा आपके लिये मारक है और व्ययेश भी शुभ नहीं माना जाता है, अतः आपको मूंगा धारण नहीं करना चाहिए।
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